अरुण कुमार
कोरोना जहां पूरी दुनिया के लिए संक ट बनकर आया वहीं, फार्मा और वैक्सीन कंपनियों को ऐसी मनाफे की बूस्टर डोज लगाई कि वे मालामाल हो गईं। कोविड वैक्सीन बनाने वालीं तीन कंपनियां- फाइजर (pfizer), बायोनटेक और मॉडर्ना (moderna) हर सेकेंड 1,000 अमरीकी डॉलर यानी 75 हजार रुपए कमा रही हैं। हर रोज ये कंपनियां 9.35 करोड़ डॉलर (लगभग सात अरब रुपए) की कमाई कर रही हैं। कोरोना से पहले मॉडर्ना 3750 करोड़ रुपए के घाटे में चल रही थी जिसने 2021 में घाटा खत्म कर 700 करोड़ डॉलर का मुनाफा कमाया। इसी तरह बायोएनटेक जो 300 करोड़ के घाटे में थी एक साल बाद 61 हजार करोड़ के मुनाफे में आ गई। वहीं, फाइजर का मुनाफा 2020 में 800 करोड़ डॉलर था जो 2021 में 9 हजार करोड़ डॉलर हो गया। यानि मुनाफे में 124 प्रतिशत का उछाल होश उड़ाने वाला है। दुनिया में दो-तिहाई वैक्सीन इन्हीं चार कंपनियों- माडर्ना, फाइजर, बायोएनटेक और जानसन एंड जानसन ने बेची हैं। ओमिक्रॉन के नाम पर मार्डना और फाइजर ने करीब दस दिन में बूस्टर डोज से 70 हजार करोड़ कमाए। एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन भी अब मुनाफे में वैक्सीन बेचने की योजना बना रही हैं।
लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में सीरम इंस्टीट्यूट को 7499 रुपए के कारोबार पर 3,890 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। चालू वित्तीय साल की पहली छमाही (सितंबर, 2021) में कंपनी की परिचालन आय उछाल के साथ 13,288 करोड़ रुपए तक पहुंच गई।
टॉप 20 कंपनियों में 18 फार्मा की
देश में 5000 करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री कर मुनाफा कमाने वाली शीर्ष 20 कंपनियों में 18 कंपनियां फार्मा सेक्टर की हैं। सीरम के बाद मैकलेओड्स फार्मास्टूटिकल्स है, जिसका शुद्ध लाभ 28 फीसदी है। भारत की वैक्सीन कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी बन गई है, लेकिन फायदे में पीछे है।
124 गुना मुनाफे की तैयारी में कंपनियां
गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार फाइजर का एक वैक्सीन में एक डॉलर खर्च होता है जबकि एक डोज 30 डॉलर में बेचती है। माडर्ना भी तीस गुने से ज्यादा में अपना टीका बेचती है। ऑक्सफेम के अनुसार दोनों कंपनियां 5 गुने से ज्यादा के मुनाफे पर अपनी वैक्सीन बेच रही हैं। अब दोनों कंपनियां टीके को 124 डॉलर में बेचने जा रही है।
गरीब देशों को वैक्सीन नहीं
पीपल्स वैक्सीन अलायंस के अनुसार तीनों कंपनियां अमीर देशों को वैक्सीन बेचकर अरबों कमा रही हैं, लेकिन गरीब देशों को वैक्सीन देने में आफत आ रही है। गरीब देशों के महज दो फीसदी लोगों को ही पूरी खुराक मिली है। जबकि इन कंपनियों को अरबों डॉलर की फंडिंग, वैज्ञानिक और सरकारी लैब तक उपलब्ध कराई गई हैं।
भारत के विरोध में अरबों की लॉबिंग
भारत और दक्षिण अफ्रीका समेत 100 देशों ने प्रस्ताव में कहा कि कोविड वैक्सीन को पेटेंट नियमों से मुक्त किया जाए ताकि सभी देश अपने हिसाब से वैक्सीन का उत्पादन कर सकें। जर्मनी, यूके, अमरीका समेत कई देशों की फार्मा कंपनियों ने नेताओं की लॉबिंग में 3 हजार 700 करोड़ रुपए से खर्च कर प्रस्ताव को मंजूर नहीं होने दिया।
मजबूर करने वाली शर्तों का लबादा
कंपनियों ने तमाम देशों से टीका के बदले ऐसी श्र्तें रखी जो किसी भी देश को नागवार गुजरी मगर कोई विकल्प नहीं था। पहली शर्त थी कि टीके से किसी की जान जाती है तो सरकार जिम्मेदार होगी और हर्जाना भी वही देगी। सरकारें टीका कंपनियों पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर पाएंगी। मॉडर्ना ने भारत से ऐसी ही शर्तें रखी थीं।
कोरोना वैक्सीन के बाद कंपनियों का मुनाफा
कंपनी 2020 2021
माडर्ना -3750 करोड़ +700 करोड़ डॉलर
फाइजर +८०० करोड़ + 9000 करोड़ डॉलर
जानसन +97000 करोड़ +120 हजार करोड़
बॉयोएनटेक – 300 करोड़ + ६१ हजार करोड़
सीरम +2251 करोड़ + 3,890 करोड़
स्रोत : पीवीए, लॉइव मिंट