आगरा किले में शिवाजी जयंती मनाने के लिए अजक्यिं देवगिरी प्रतष्ठिान 11 नवंबर 2022 से अनुमति के लिए प्रयास कर रहा था, हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसकी अनुमति नदी दी। जिसके बाद यह मामला कोर्ट गया। कोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिया कि यदि महाराष्ट्र सरकार इसमें सह-आयोजक है, तो समारोह की अनुमति दे दी जाये। इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एएसआई और अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा।
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आगरा के किले का मुगल और मराठा साम्राज्य के इतिहास में एक विशेष महत्व है। मुगल बादशाह औरंगजेब ने 350 साल पहले आगरा किले में शिवाजी महाराज और उनके बेटे युवराज संभाजी को धोखे से कैद किया था। उन्हें मारने की साजिश भी रची गई थी। लेकिन जेल की सुरक्षा को चकमा देते हुए शिवाजी महाराज अपने वफादारों के साथ वहां से सकुशल निकल गए थे। 1666 की गर्मियों में शिवाजी महाराज को मुगल सम्राट औरंगजेब ने आगरा में शाही दरबार में उनके 50वें जन्मदिन समारोह में शामिल होने का न्योता भेजा था। जिसके बाद शिवाजी महाराज, अपने बेटे राजकुमार संभाजी के साथ 12 मई 1666 को आगरा पहुंचे. हालांकि औरंगजेब ने उनके साथ छल किया उन्हें बंदी बना लिया। लेकिन 17 अगस्त 1666 में मिठाई के बक्सों में वह भागने में सफल रहे।
बता दें कि आगरा किला ताज महल से ढाई किमी दूर स्थित है। यह लाल बलुआ पत्थर से 1573 में बनाया गया था। यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर सूची में भी यह शामिल है। एएसआई इस विरासत स्मारक की देखभाल करता है।