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छगन भुजबल करेंगे बगावत? बोले- फडणवीस चाहते थे मैं मंत्री बनूं, लेकिन अजित दादा ने…

Chhagan Bhujbal : सूत्रों का कहना है कि छगन भुजबल की नाराजगी दूर करने के लिए एनसीपी (अजित पवार) की ओर से कोशिशें जारी हैं।

मुंबईDec 17, 2024 / 07:55 pm

Dinesh Dubey

Chhagan Bhujbal Ajit Pawar : महाराष्ट्र की महायुति सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल नाराज हो गए हैं। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर की है। यहां तक की छगन भुजबल ने नागपुर के शीतकालीन सत्र में नहीं जाने का फैसला किया है। इसके अलावा उन्होंने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत का भी संकेत दिया है।
एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने नाराजगी जताते हुए कहा, ”लोकसभा चुनाव में मैंने अपना नाम इसलिए वापस ले लिया क्योंकि आखिरी वक्त में मेरा नाम आगे बढ़ाया गया था, फिर जब राज्यसभा का मौका आया तो मैंने अपनी इच्छा जताई, लेकिन सुनेत्रा पवार का नाम आगे आया तो मैंने कुछ भी नहीं कहा। मैं क्या छोटा खिलौना हूं?..”
छगन भुजबल ने अप्रत्यक्ष रूप से अजित पवार पर उंगली उठाते हुए दावा किया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुझे कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

अजित पवार के संपर्क में नहीं हूं- भुजबल

नासिक के येवला में समता परिषद के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद भुजबल ने मीडिया से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा, एनसीपी के सभी फैसले अजित पवार, सुनील तटकरे, प्रफुल्ल पटेल लेते हैं। सीएम फडणवीस ने मुझे कैबिनेट में शामिल करने के लिए कहा, वह मुझे मंत्री बनाने पर अड़े थे लेकिन अजित दादा ने आखिरी मिनट तक बात नहीं मानी। सवाल मंत्री पद का नहीं बल्कि सवाल यह है कि किस तरह से उन्हें नजरअंदाज किया गया।
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छगन भुजबल ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही खेल खेला गया था। इसके बाद जब मुझे राज्यसभा सांसद बनना था तो भी मौका नहीं दिया गया…मैं अजित पवार के संपर्क में नहीं हूं, प्रफुल पटेल, सुनील तटकरे के संपर्क में हूं।
वरिष्ठ नेता ने कहा, अगर आप मुझे उठने के लिए कहेंगे तो मैं उठूंगा और अगर आप मुझे बैठने के लिए कहेंगे तो मैं बैठूंगा, छगन भुजबल ऐसी बातें सुनने वाले व्यक्ति नहीं हैं।

क्यों बढ़ी अजित पवार की टेंशन

गौरतलब हो कि छगन भुजबल एनसीपी के फायरब्रांड नेता माने जाते हैं। उन्होंने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर भी आक्रामक रुख लिया था और मनोज जरांगे पाटील का खुलकर विरोध किया था। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वह राजनीति के बहुत अनुभवी और चतुर रणनीतिकार हैं। इसलिए, यदि वे महायुति के खिलाफ बगावत करने का निर्णय लेते हैं, तो एनसीपी खासकर अजित दादा को व्यक्तिगत नुकसान होगा।

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