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मुंबई नगर निगम (BMC) के शिक्षा विभाग के अंतर्गत आरटीई मंजूरी के बिना चल रहे 218 निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में से कुल 192 स्कूलों को आरटीई मंजूरी दी गई थी। हालाँकि, राज्य सरकार द्वारा जारी अध्यादेश के कारण यह मंजूरी अधर में लटक गई। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई थी। हाईकोर्ट ने निजी, गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को आरटीई के दायरे से बाहर करने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा 9 फरवरी को जारी अधिसूचना को चुनौती वाली याचिका स्वीकार कर ली थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मई महीने में ही इस अध्यादेश पर रोक लगा दी थी। हालांकि, तब हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि इस दौरान जिन छात्रों को एडमिशन दिया गया है, वे प्रभावित नहीं होने चाहिए।
राज्य सरकार ने बदला था नियम
महाराष्ट्र सरकार ने दावा किया था कि आरटीई के कारण सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या कम हो रही है। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अनुच्छेद 12 के मुताबिक, आर्थिक रूप से कमज़ोर और वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों के लिए निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में कम से कम 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित होनी चाहिए और आठवीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा देना अनिवार्य है। राज्य सरकार ने 9 फरवरी को एक अध्यादेश जारी किया था. जिमसें कहा गया था कि 25 फीसदी दाखिले की शर्त उन निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों पर लागू नहीं होगी, जहां 1 किमी के दायरे में सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल हैं। हालांकि, राज्य सरकार के इस फैसले पर बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। वहीं अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को झटका देते हुए आरटीई को लेकर जारी अध्यादेश को ही रद्द कर दिया है।