सबीना लकड़ावाला ने जनहित याचिका में मांग की गई है कि किसी भी तरह की छुट्टी के लिए 70 दिनों से अधिक समय तक अदालतों को बंद करना वादियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन घोषित किया जाये और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस एस. वी. गंगापुरवाला और जस्टिस एस. जी. दिगे की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि वादी की अपेक्षा जायज है, हालांकि न्यायाधीशों की कमी भी एक ऐसा मुद्दा है जिसपर ध्यान देने की जरूरत है।
यह भी पढ़ें
ICICI Bank की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को झटका, बॉम्बे हाईकोर्ट ने टर्मिनेशन को बताया सही
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस एस. वी. गंगापुरवाला और जस्टिस एस. जी. दिगे की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि वादी की अपेक्षा जायज है, हालांकि न्यायाधीशों की कमी भी एक ऐसा मुद्दा है जिसपर ध्यान देने की जरूरत है।
कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा “बेंच के गठन के लिए आपको जज कहां से मिलते हैं? वादी की उम्मीद जायज है और हम दुर्दशा समझते हैं, लेकिन हम क्या कर सकते हैं?”
याचिकाकर्ता ने दिया तर्क
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (National Judicial Appointments Commission) एक समाधान हो सकता है। साथ ही कहा कि कॉलेजियम के माध्यम से जजों को जजों की नियुक्ति करने की जरूरत नहीं है।
याचिकाकर्ता ने दिया तर्क
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (National Judicial Appointments Commission) एक समाधान हो सकता है। साथ ही कहा कि कॉलेजियम के माध्यम से जजों को जजों की नियुक्ति करने की जरूरत नहीं है।
गौरतलब हो कि बीते महीने बॉम्बे हाईकोर्ट में कोर्ट की छुट्टियों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका सबीना लकड़ावाला द्वारा दायर की गई थी, जिस पर अब सुनवाई शुरू हुई है। इसमें कोर्ट की लंबी छुट्टी की वजह से कथित तौर पर मामलों की सुनवाई प्रभावित होने की दलील दी गई है। इस स्थिती का सामना खुद याचिकाकर्ता ने भी किया है।
याचिका में कहा ‘जजों की छुट्टियों के खिलाफ नहीं’
याचिका में कहा ‘जजों की छुट्टियों के खिलाफ नहीं’
लकड़ावाला के वकील मैथ्यूज नेदुमपुरा ने कहा कि याचिकाकर्ता जजों की छुट्टियां लेने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन न्यायपालिका के सदस्यों को एक ही समय में छुट्टी नहीं लेनी चाहिए। उन्हें इस तरह छुट्टी लेनी चाहिए कि कोर्ट पूरे साल काम कर सकें। लंबी छुट्टियों से वादियों के न्याय हासिल करने के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।
साल में तीन बार होती हैं लंबी छुट्टियां
आपको बता दें कि हाईकोर्ट में हर साल तीन बार लंबी छुट्टियां होती हैं। एक महीने का ग्रीष्मकालीन अवकाश, दो हफ्ते की दिवाली छुट्टी और एक हफ्ते की क्रिसमस की छुट्टी शामिल है। हालांकि इस दौरान अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अवकाश बेंच उपलब्ध रहती है।
साल में तीन बार होती हैं लंबी छुट्टियां
आपको बता दें कि हाईकोर्ट में हर साल तीन बार लंबी छुट्टियां होती हैं। एक महीने का ग्रीष्मकालीन अवकाश, दो हफ्ते की दिवाली छुट्टी और एक हफ्ते की क्रिसमस की छुट्टी शामिल है। हालांकि इस दौरान अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अवकाश बेंच उपलब्ध रहती है।