सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 71 वर्षीय एनसीपी नेता अनिल देशमुख द्वारा दायर जमानत याचिका पर फिर से सुनवाई शुरू की थी। पिछले बुधवार को दो दिन चली मैराथन सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
SC ने बॉम्बे हाईकोर्ट को दिया था फैसला करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि वह देशमुख की याचिका पर तेजी से सुनवाई करके फैसला सुनाए, क्योंकि यह मामला छह महीने से लंबित है। ईडी ने नवंबर 2021 में देशमुख को गिरफ्तार किया था और वह तब से न्यायिक हिरासत में हैं।
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SC ने बॉम्बे हाईकोर्ट को दिया था फैसला करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि वह देशमुख की याचिका पर तेजी से सुनवाई करके फैसला सुनाए, क्योंकि यह मामला छह महीने से लंबित है। ईडी ने नवंबर 2021 में देशमुख को गिरफ्तार किया था और वह तब से न्यायिक हिरासत में हैं।
पिछली सुनवाई के दौरान देशमुख की ओर से पेश अधिवक्ता विक्रम चौधरी, अनिकेत निकम और इंद्रपाल सिंह ने तर्क दिया था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देशमुख को बिना पक्के सबूत के गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि मामले का ट्रायल अभी शुरू नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जो केस देशमुख पर दर्ज है, इस मामले में अधिकतम सात साल और न्यूनतम तीन महीने की सजा हो सकती है। जबकि देशमुख इससे भी ज्यादा का समय हिरासत में गुजार चुके हैं। एनसीपी नेता के वकील ने कहा कि यह जांच केंद्रीय एजेंसी की राय पर आधारित है। इसे अभियोजन पक्ष द्वारा बनाया गया है।
गौरतलब हो कि देशमुख की जमानत याचिका को विशेष अदालत ने इस साल की शुरुआत में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत खारिज कर दिया था। तब अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया मनी लॉन्ड्रिंग में देशमुख की संलिप्तता का सबूत है। अदालत ने कहा कि सबूत यह इंगित कर रहे है कि देशमुख ने पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर “अनुचित प्रभाव” का प्रयोग किया था।
देशमुख के खिलाफ आरोप है कि, महाराष्ट्र के गृह मंत्री के रूप में उन्होंने व्यक्तिगत लाभ के लिए अपनी पद की ताकत का दुरुपयोग किया था। ईडी ने उनके खिलाफ कथित तौर पर 4.7 करोड़ रुपये के घूस का मामला बनाया था और साथ ही मुंबई के व्यापारियों से जबरन वसूली करने वाले रैकेट चलाने का भी आरोप उन पर लगाया था।
परमबीर सिंह ने लगाया था उगाही का आरोप
गौरतलब हो कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिसकर्मियों को शहर के रेस्टोरेंट और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने का निर्देश दिया था। हालाँकि देशमुख ने आरोपों से इनकार किया था लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिए जाने के बाद उन्हें अपने पद से हटना पड़ा था।
सीबीआई ईडी ने दर्ज किया केस
तब सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर सीबीआई ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था और फिर ईडी ने भी उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। ईडी के मुताबिक हवाला के जरिए पैसा देशमुख से जुड़े ट्रस्ट को भेजा गया था।