चुनाव आयोग ने 16 मार्च को लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा करने के साथ ही अकोला पश्चिम सीट पर उपचुनाव कराने का ऐलान किया। हालाँकि, आयोग के इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में चुनौती दी गई थी। यह याचिका अकोला के निवासी शिवकुमार दुबे ने दायर की थी। दुबे ने इस उपचुनाव को रद्द करने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने दिया ये तर्क
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब चंद महीने रह गए है। ऐसे में उपचुनाव कराना पैसे की बर्बादी है। यदि यहां चुनाव होते भी है तो नवनिर्वाचित विधायक का आधे से ज्यादा कार्यकाल आचार संहिता में बीतेगा। 4 जून को नतीजे आने के बाद नए विधायक को सिर्फ चार महीने का समय मिलेगा। चुनाव में सरकारी खजाने से भारी रकम खर्च की जायेगी। इसलिए याचिका में दलील दी गई कि यह चुनाव नहीं कराया जाना चाहिए।
इस याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की बातों पर विचार किया और चुनाव रद्द कर दिया। यानी इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के बाद ही अकोला (पश्चिम) निर्वाचन क्षेत्र को नया विधायक मिलेगा। 3 नवंबर 2023 को बीजेपी नेता का निधन हुआ था।
दरअसल, जब से चुनाव आयोग ने अकोला उपचुनाव की घोषणा की थी, तभी से इस पर बहस शुरू हो गई थी। आयोग के फैसले की आलोचना हो रही थी। इसके बावजूद सभी दल उपचुनाव की तैयारी में जुट गए थे।
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 2024 में समाप्त होने वाला है। 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए चुनाव अक्टूबर 2024 में या उससे पहले होने की उम्मीद है।