बॉम्बे हाईकोर्ट का यह आदेश तब आया है जब जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) ने खुद अपने पाउडर में टैल्क (Talc) का उपयोग नहीं करने और उसकी जगह कॉर्न-स्टार्च का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। कंपनी ने यह कदम उपभोक्ताओं के बीच पाउडर से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए उठाया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या कहा?
साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि फर्म बेबी पाउडर को बेच या वितरित नहीं कर सकती है और वह अपने जोखिम पर इसका निर्माण शुरू कर सकती है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने एफडीए मुंबई से जॉनसन एंड जॉनसन बेबी पाउडर के नमूने एकत्र कर उसे मुंबई में तीन अलग-अलग लैबों में भेजने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने जॉनसन बेबी पाउडर के नमूनों की जांच दो सरकारी लैब और एक निजी लैब में करवाने के लिए कहा है।
यह भी पढ़ें
बॉम्बे हाईकोर्ट ने Saregama को दिया झटका, कहा- ‘डिस्को डांसर’ पर Shemaroo का कॉपीराइट, सिर्फ लंदन शो की दी अनुमति
बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या कहा?
साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि फर्म बेबी पाउडर को बेच या वितरित नहीं कर सकती है और वह अपने जोखिम पर इसका निर्माण शुरू कर सकती है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने एफडीए मुंबई से जॉनसन एंड जॉनसन बेबी पाउडर के नमूने एकत्र कर उसे मुंबई में तीन अलग-अलग लैबों में भेजने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने जॉनसन बेबी पाउडर के नमूनों की जांच दो सरकारी लैब और एक निजी लैब में करवाने के लिए कहा है।
जॉनसन बेबी पाउडर पर क्यों लगा बैन?
बता दें कि कोलकाता की सेंट्रल ड्रग लैब की एक रिपोर्ट के आधार पर जॉनसन एंड जॉनसन प्राइवेट लिमिटेड का बेबी पाउडर निर्माण लाइसेंस रद्द कर दिया था। सितंबर महीने में एफडीए ने जन स्वास्थ्य के हित में यह कदम उठाया था. राज्य सरकार की एजेंसी ने कहा था कि कंपनी का उत्पाद जॉनसन बेबी पाउडर नवजात शिशुओं की त्वचा को प्रभावित कर सकता है. नियामक ने कहा कि शिशुओं के लिए पाउडर के नमूने लैब जांच के दौरान मानक पीएच मान के अनुरूप नहीं थे. एफडीए ने गुणवत्ता जांच के उद्देश्य से पुणे और नासिक से जॉनसन के बेबी पाउडर के नमूने लिए थे। हालांकि तब कंपनी ने एफडीए की रिपोर्ट को सही नहीं करार देते हुए इसे कोर्ट में चुनौती दी थी।