पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दावा किया कि संत तुकाराम महाराज को उनकी पत्नी रोज पीटती थी। इसलिए वें भगवान की शरण में आ गए। उनके इस बयान को लेकर महाराष्ट्र में अब भारी रोष व्यक्त किया जा रहा है। बीजेपी के आध्यात्मिक विंग के साथ-साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी बागेश्वर बाबा के इस बयान की आलोचना की है. ऐसा संभावना जताई जा रही है कि बागेश्वर बाबा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बागेश्वर बाबा ने क्या कहा?
संत तुकाराम महाराष्ट्र के महात्मा थे। उनकी पत्नी उन्हें रोज पीटती थी। आए दिन उन्हें डंडे से मारती थी। किसी ने उससे पूछा, आप रोज अपनी बीवी से मार खाते है। आपको शर्म नहीं आती है? इस पर तुकाराम ने कहा, यह भगवान की कृपा है कि मुझे पीटने वाली पत्नी मिली है।
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बागेश्वर बाबा ने क्या कहा?
संत तुकाराम महाराष्ट्र के महात्मा थे। उनकी पत्नी उन्हें रोज पीटती थी। आए दिन उन्हें डंडे से मारती थी। किसी ने उससे पूछा, आप रोज अपनी बीवी से मार खाते है। आपको शर्म नहीं आती है? इस पर तुकाराम ने कहा, यह भगवान की कृपा है कि मुझे पीटने वाली पत्नी मिली है।
इस पर उस व्यक्ति ने बोला, इसमें ईश्वर की क्या कृपा है? तब तुकाराम ने कहा, अरे वाह… अगर मुझे प्यार करने वाली पत्नी मिली होती तो मुझे भगवान से प्रेम नहीं होता। मैं भक्ति में लीन न होता। पत्नी के प्रेम में होता। मारने वाली पत्नी होने की वजह मुझे ईश्वर की सेवा करने का अवसर मिलता है। प्रभु राम के चरणों में लीन होने का अवसर तो मिला…।”
माफी मांगने की मांग!
बीजेपी के आध्यात्मिक विंग के आचार्य तुषार भोसले ने बागेश्वर बाबा के बयान के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने जगतगुरु तुकाराम के बारे में बोलते हुए गलत संदर्भ दिया है। इससे संत तुकाराम महाराज और उनकी पत्नी की छवि को ठेस पहुंची है। इससे न केवल वारकरी संप्रदाय बल्कि पूरे महाराष्ट्र का अपमान हुआ है। इसलिए बागेश्वर बाबा को माफी मांगनी चाहिए।
सुप्रिया सुले ने किया विरोध
एनसीपी (राकांपा) सांसद सुप्रिया सुले ने भी बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री के बयान की निंदा की। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “अगर बागेश्वर बाबा ने संत तुकाराम पर आपत्तिजनक बयान दिया है तो इसे दिखाना बंद किया जाये। मैं खुद अध्यात्म में विश्वास करती हूं। लेकिन इसलिए नहीं कि यह खराब है। मुझे सही लगता है इसलिए करती हूँ। संत तुकाराम महाराज के बारे में अगर किसी ने कुछ कहा है तो उसकी सार्वजनिक रूप से निंदा की जानी चाहिए।”