अबू आजमी ने राज्य विधानसभा में कहा “जाते-जाते उद्धव ठाकरे ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदल दिया। अगर देश और महाराष्ट्र का इससे विकास हो रहा है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। शहरों के नाम बदलकर क्या संदेश देना चाहते हैं? मुस्लिम नाम बदलकर क्या संदेश दिया जा रहा है। बालासाहेब के नाम पर बड़े-बड़े शहर बनाओ, हम तालियों से आपका स्वागत करेंगे। लेकिन मुसलमानों के नाम बदलने से आपका क्या मतलब है?”
सपा विधायक अबू आजमी के सवाल पर शिवसेना विधायक भास्कर जाधव ने आपत्ति जताई. शिवसेना नेता ने जवाब देते हुए कहा “औरंगजेब एक चरमपंथी था, उसने हम पर अत्याचार किया, इसलिए हमने नाम बदलकर संभाजी महाराज का नाम दिया है। इसमें मुसलमानों और हिंदुओं के बीच ऐसा कोई भेदभाव नहीं है बस मुझे यही कहना है।“
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भास्कर जाधव ने दिया जवाबसपा विधायक अबू आजमी के सवाल पर शिवसेना विधायक भास्कर जाधव ने आपत्ति जताई. शिवसेना नेता ने जवाब देते हुए कहा “औरंगजेब एक चरमपंथी था, उसने हम पर अत्याचार किया, इसलिए हमने नाम बदलकर संभाजी महाराज का नाम दिया है। इसमें मुसलमानों और हिंदुओं के बीच ऐसा कोई भेदभाव नहीं है बस मुझे यही कहना है।“
मध्य महाराष्ट्र के दोनों शहर स्वतंत्रता से पहले हैदराबाद रियासत का हिस्सा हुआ करते थे। लंबे समय से औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी के नाम पर संभाजीनगर करने की मांग की जा रही थी। औरंगाबाद नाम मुगल बादशाह औरंगजेब के नाम पर रखा गया था। छत्रपति संभाजी भारतीय इतिहास में ध्रुवीकरण करने वाली हस्ती है जिनकी मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर हत्या कर दी गयी थी।
वहीँ, इतिहासकारों का कहना है कि धाराशिव को 1904 में अंतिम निजाम मीर उस्मान अली के सम्मान में उस्मानाबाद के रूप में नामित किया गया था, जिन्हें सातवें आसफजाह के रूप में भी जाना जाता था। पहली बार 1937 में उस्मानाबाद शहर का नाम बदलकर धाराशिव रखने की मांग उठी थी।
दरअसल उद्धव सरकार ने दोनों जिलों का नाम परिवर्तित करने का कदम ऐसे समय में उठाया, जब महा विकास आघाड़ी (एमबीए) सरकार की अगुवाई कर रही शिवसेना बड़ी संख्या में अपने विधायकों की बगावत का सामना कर रही थी और गिरने की कगार पर थी।