चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की बेंच ने कहा कि मुंबई में स्थिति दयनीय है और हम मध्य और पश्चिम रेलवे के शीर्ष अधिकारियों को ऐसे हादसों के लिए जवाबदेह ठहराएगी।
चीफ जस्टिस उपाध्याय ने कहा, “यह आपकी ज़िम्मेदारी और कर्तव्य है। लोगों की जान बचाने के लिए आपको कोर्ट के निर्देश पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।” मायानगरी में भीड़भाड़ वाली उपनगरीय ट्रेनों से गिरने या पटरियों पर अन्य दुर्घटनाओं के कारण यात्रियों की मौतों की बढ़ती संख्या को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि जहां यात्रियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, वहीं रेलवे स्टेशनों पर बुनियादी ढांचा पुराना और चरमरा रहा है। बुधवार को उस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह बहुत गंभीर मुद्दा है और इससे निपटा जाना चाहिए।
मुंबई निवासी यतिन जाधव द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट अदालत ने कहा, ‘‘जनहित याचिका में बहुत गंभीर मुद्दा उठाया गया है और इसलिए आपको (रेलवे अधिकारियों को) इस पर ध्यान देना होगा। आप हादसों को रोकने में नाकामी के लिए शहर की आबादी को जिम्मेदार नहीं बता सकते है। आप लोगों को मवेशियों की तरह ढोते हैं। जिस तरह से यात्री सफर करते हैं उसे लेकर हम खुद को शर्मिंदा महसूस करते हैं।’’
हाईकोर्ट ने पश्चिमी और मध्य रेलवे के महाप्रबंधक को पूरे मामले पर गौर करने और जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। इस जनहित याचिका पर आठ सप्ताह बाद अगली सुनवाई होगी। बता दें कि याचिकाकर्ता ने बताया कि मुंबई लोकल ट्रेन में 2023 में 2590 यात्रियों की मौत पटरियों पर हुई, यानी हर दिन सात लोगों ने अपनी जान गंवाई. इसी अवधि में 2,441 लोग घायल हुए। वहीँ, मध्य रेलवे के अंतर्गत आने वाली पटरियों पर हुए हादसों में 1,650 लोग मारे गए, जबकि पश्चिमी रेलवे के अंतर्गत आने वाले खंड पर 940 लोग मारे गए।