दिसंबर को मंत्रालय कूच
घर बचाओ, घर बनाओ आंदोलन के तहत एनएपीएम की राष्ट्रीय अध्यक्ष मेधा पाटकर ने ऐलान किया है कि अगर माहुल की इमारतों में विस्थापित किए गए लोगों को न्याय नहीं मिलता है तो 15 दिसंबर को 20 से 25 हजार लोग विद्याविहार से मंत्रालय की ओर कूच करेंगे। विदित हो कि करीब 150 किमी. लंबी तानसा पाइप लाइन (मुख्य जल वाहिनी) के आसपास बसे स्लम के करीब 16 हजार घरों को तहस-नहस कर उन्हें माहुल में बसने की हिदायत दी गई थी, जबकि एनजीटी की ओर से माहुल को गंभीर प्रदूषित क्षेत्र घोषित किया जा चुका है।
सिर्फ 4 सौ को मिले फ्लैट
पिछले 40 दिनों से आंदोलन पर बैठे कुछ लोगों से ‘पत्रिकाÓ ने बात की तो पता चला कि माहुल में लोगों को कई बीमारियां हो गई हैं, जिनमें सबसे अहम सांस लेने में परेशानी होना है। इतना ही नहीं आंदोलन में शामिल कई लोग प्रदूषण के चलते चर्म रोग का भी शिकार हुए हैं। इस इलाके में राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर, रिफाइनरी और बीएआरसी से दूषित हवा निकलती है, जिसकी वजह से लोगों की जिंदगी बद से बदतर हो गई है। आंदोलनकारियों का कहना है कि विस्थापित हुए करीब चार सौ परिवारों को आलीशान कोहिनूर इलाके में फ्लैट दिए गए हैं।
नेताओं से मिल रहा सिर्फ आश्वासन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नसीम खान का कहना है कि फडणवीस सरकार को झोपड़ावासियों को उनके फ्लैट मुहैया कराने चाहिए और प्रदूषण युक्त घोषित हो चुके माहुल से रहिवासियों के लिए अविलंब रहने लायक व्यवस्था की जानी चाहिए। शिवसेना के विधायक मंगेश कुनालकर ने बताया कि जल्द ही उन्हें माहुल की नारकीय जिंदगी से निजात मिलेगी। वहीं गृह निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता ने भी विद्याविहार रहिवासियों को जल्द ही इस परेशानी से उबारने का आश्वासन दिया है।