शाहपुर तालुका के सावरोली के रहने वाले 14 वर्षीय लड़के के पैर में हाल ही में चोट लग गई थी। उसके परिजनों के मुताबिक, बच्चे के तलवे में चोट लगी थी। इसलिए उसे इलाज के लिए शहापूर उपजिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके पैर का एक्स-रे किया गया और अन्य जरुरी जांच करवाई गई। सारी रिपोर्ट्स देखने के बाद डॉक्टर ने माता-पिता से कहा कि बच्चे के पैर का ऑपरेशन करना पड़ेगा।
अगले दिन सरकारी अस्पताल में उसके पैर के ऑपरेशन की तैयारी की गयी। बताया जा रहा है कि बच्चे का ऑपरेशन करने से पहले शाहपुर उपजिला अस्पताल में दो बच्चों के प्राइवेट पार्ट का ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद 14 वर्षीय लड़के को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया और डॉक्टरों ने उसके भी प्राइवेट पार्ट का ऑपरेशन कर दिया।
ऑपरेशन के बाद लड़के को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। जब उसकी मां ने उसे देक्खा तो दंग रह गई। लड़के को पैर के सर्जरी के लिए ले जाया गया था, लेकिन उसके गुप्तांग का ऑपरेशन कर दिया गया। इससे परिजन भड़क गए। डॉक्टरों को जब गलती के बारे में पता चला तो वह लड़के को फिर से ऑपरेशन थिएटर में ले गए और चोटिल हुए बाएं पैर का ऑपरेशन किया। परिजनों का दावा है कि शहापूर उपजिला अस्पताल के डॉक्टरों ने बड़ी लापरवाही बरती है।
परिजनों ने पूछा- डॉक्टरों ने क्यों की प्राइवेट पार्ट की सर्जरी?
बच्चे के माता-पिता का दावा है कि जब उसे किसी तरह की कोई समस्या नहीं थी तो उसके गुप्तांग की सर्जरी क्यों की गई। गुप्तांग के ऑपरेशन से जुड़ी कोई रिपोर्ट्स भी नहीं निकाली गई थी और बिना हमे सूचित किये ऑपरेशन कर दिया गया। लड़के की मां ने कहा, मेरे बेटे के पैर में जख्म हो गया था। इसलिए हमने उसे अस्पताल में दिखाया। तब डॉक्टर ने कहा कि उसके पैर का सर्जरी करना पड़ेगा। अगले दिन उसे सर्जरी के लिए ले गए और सर्जरी के बाद जब उसे जब बाहर लाए तो मैंने देखा कि उसके पैर का ऑपरेशन हुआ ही नहीं था। बल्कि गुप्तांग की सर्जरी की गई। जब मैंने अस्पताल में हो हल्ला किया तो डॉक्टर उसे वापस ऑपरेशन थिएटर में ले गए और उसके पैर की सर्जरी का।
चिकित्सा अधिकारी ने क्या कहा?
शहापुर उपजिला अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डी. आर. शिंदे ने पूरे मामले पर सफाई दी है। मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर शिंदे ने कहा, बच्चे को दो समस्याएं थीं इसलिए दोनों सर्जरी एक साथ कर दी गई। उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी मरीज के परिजनों को दी गई थी, संभवतः मरीजों के परिजन बदल गये होंगे। इसमें डॉक्टरों की गलती नहीं है।