जबलपुर। नूतन को सिनेमा जगत आज भी याद करता है। 21 फरवरी 1991 जब उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके बेटे मोहनीश बहल आज भी उनकी फिल्मों को नहीं देखते। लेकिन संजीदा किरदारों के लिए मशहूर इस नैसर्गिक अदाकारा ने अपनी गहरी छाप सिनेमा की दुनिया पर छोड़ी है। आइए जानते हैं नूतन के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें-
-नूतन हिन्दी सिनेमा की सबसे प्रसिद्ध अदाकाराओं में से एक रही हैं। नूतन का जन्म 24 जून 1936 को एक पढे लिखे और सभ्रांत परिवार में हुआ था। इनकी माता का नाम श्रीमती शोभना सामर्थ और पिता का नाम श्री कुमारसेन सामर्थ था। नूतन ने अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत 1950 में की थी जब वह स्कूल में ही पढ़ती थीं।
-11 अक्टूबर 1959 को नूतन ने लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीश बहल से विवाह कर लिया। नूतन के पुत्र मोहनीश बहल भी हिन्दी फिल्मों में अभिनय करते हैं। नूतन की बहन तनुजा और भतीजी काजोल भी हिन्दी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में शामिल हैं।
-उनकी मां शोभना समर्थ जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री थीं। घर में फिल्मी माहौल रहने की वजह से नूतन अक्सर अपनी मां के साथ शूटिंग देखने जाया करती थीं। इस वजह से उनका भी रूझान फिल्मों की ओर हो गया।
-नूतन ने बतौर बाल कलाकार फिल्म नल दमयंती से अपने सिने करियर की शुरुआत की। इस बीच नूतन ने अखिल भारतीय सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जिसमें वह प्रथम चुनी गयी लेकिन बॉलीवुड के किसी निमार्ता का ध्यान उनकी ओर नही गया। मिस इंडिया पुरस्कार को पाने वाली पहली महिला थीं।
-नूतन को 1950 में प्रदर्शित फिल्म हमारी बेटी में अभिनय करने का मौका मिला। यह फिल्म उनकी मां शोभना समर्थ ने बनायी थी।
-नूतन वर्ष1958 में प्रदर्शित फि ल्म दिल्ली का ठग में नूतन ने स्विमिंग कॉस्टयूम तरण वेश पहनकर उस समय के समाज को चौंका दिया। फिल्म बारिश में नूतन काफी बोल्ड दृश्य दिये जिसके लिये उनकी आलोचना भी हुई। लेकिन बाद में विमल राय की फिल्म सुजाता और बंदिनी में अत्यंत मर्मस्पर्शी अभिनय कर अपनी बोल्ड अभिनेत्री की छवि को बदल दिया।
-वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म बंदिनी भारतीय सिनेमा जगत में अपनी संपूर्णता के लिये सदा याद की जायेगी। बताते हैं कि फिल्म में नूतन के अभिनय को देखकर ऐसा लगा कि केवल उनका चेहरा ही नही बल्कि हाथ पैर की उंगलियां भी अभिनय कर सकती है।
-हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बतौर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री सर्वाधिक फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त करने का कीर्तिमान नूतन और काजोल के नाम संयुक्त रूप से दर्ज है।
-बताते हैं कि नूतन दिलीप कुमार के साथ काम करना चाहती थीं, लेकिन उनकी ये चाहत अधूरी ही रह गई।
-मैं तुलसी तेरे आंगन की, सीमा, सुजाता, बंदनी नूतन की इतिहासप्रद फिल्में हैं। इन फिल्मों ने जबलपुर या मध्यप्रदेश में ही नहीं पूरे भारत में रूपहले पर्दे पर धूम मचा दी थी। बताते हैं कि मैं तुलसी तेरे आंगन की देखकर लोग आंसु पोंछते हुए थियेटर से बाहर निकलते थे। जबलपुर में नूतन के किरदार को इतना पसंद किया गया था कि हफ्तों तक सिनेमा हॉल में ठसाठस भीड़ रहती थी। और लंबी लाइन लगाकर लोग टिकट खरीदते थे। फिल्म में नूतन की संजीदगी ने महिला दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ दी थी।
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