खास फिल्म है ‘सलाम वेंकी’
काजोल और विशाल जेठवा की फिल्म ‘सलाम वेंकी’ शुरू से ही लाइमलाइट में रही है, इसकी वजह से इस फिल्म की स्टोरीलाइन जोकि भावनात्मक है। इच्छामृत्यु और अंग दान के संवेदनशील मुद्दे से संबंधित यह फिल्म कई हाई मूमेंट में आपको रुला देगी।
कहानी
कोलावेणु वेंकेटेश यानी वेंकी(विशाल जेठवा) की, जो डीएमडी जैसी लाइलाज बीमारी से ग्रसित है और हॉस्पिटल में जीवन की आखिरी सांस ले रहा है। वेंकी की मां सुजाता(काजोल) हर पल अपने बेटे को मरता देखने के बाद भी मजबूती से उसके सामने ढाल की तरह खड़ी हुई है। वेंकी अपनी मां से आखिर पल में इच्छा मृत्यु की दरख्वास्त करता है, और मरने के बाद की अपनी इच्छा को जाहिर करता है। वेंकी की इच्छा है कि उसके मरने के बाद उसके बॉडी के सभी ऑर्गेन को डोनेट कर दिया जाए, जो किसी जरूरतमंद के काम आ सके। अपने बेटे की इस आखरी इच्छा को पूरा करने की कहानी है ‘सलाम वेंकी’।
काजोल और विशाल जेठवा की फिल्म ‘सलाम वेंकी’ शुरू से ही लाइमलाइट में रही है, इसकी वजह से इस फिल्म की स्टोरीलाइन जोकि भावनात्मक है। इच्छामृत्यु और अंग दान के संवेदनशील मुद्दे से संबंधित यह फिल्म कई हाई मूमेंट में आपको रुला देगी।
कहानी
कोलावेणु वेंकेटेश यानी वेंकी(विशाल जेठवा) की, जो डीएमडी जैसी लाइलाज बीमारी से ग्रसित है और हॉस्पिटल में जीवन की आखिरी सांस ले रहा है। वेंकी की मां सुजाता(काजोल) हर पल अपने बेटे को मरता देखने के बाद भी मजबूती से उसके सामने ढाल की तरह खड़ी हुई है। वेंकी अपनी मां से आखिर पल में इच्छा मृत्यु की दरख्वास्त करता है, और मरने के बाद की अपनी इच्छा को जाहिर करता है। वेंकी की इच्छा है कि उसके मरने के बाद उसके बॉडी के सभी ऑर्गेन को डोनेट कर दिया जाए, जो किसी जरूरतमंद के काम आ सके। अपने बेटे की इस आखरी इच्छा को पूरा करने की कहानी है ‘सलाम वेंकी’।
फिल्म का डाइरेक्शन
फिल्म के निर्देशन की बात करें तो फिल्म के निर्देशन का पूरा क्रेडिट रेवती को जाता है। उन्होंने बड़े ही बेहतरीन तरीके से हर सीन को फिल्माया है और किरदारों में जान फूकने का बेहतरीन काम किया है। रेवती ने इस फिल्म से लगभग 14 साल बाद डायरेक्शन में वापसी की है और उनकी ये वापसी सही साबित होती दिखाई दे रही है।
फिल्म का सब्जेक्ट
रेवती ने इस फिल्म के जरिए एक ऐसे यूनिवर्सल इमोशनल सब्जेक्ट का चुनाव किया है जिससे हर कोई जुड़ा हुआ महसूस कर सके। एक सच्ची कहानी को पर्दे पर पूरी सेंसेटिविटी के साथ पेश करने का उनका यह कदम सराहनीय है।
फिल्म के निर्देशन की बात करें तो फिल्म के निर्देशन का पूरा क्रेडिट रेवती को जाता है। उन्होंने बड़े ही बेहतरीन तरीके से हर सीन को फिल्माया है और किरदारों में जान फूकने का बेहतरीन काम किया है। रेवती ने इस फिल्म से लगभग 14 साल बाद डायरेक्शन में वापसी की है और उनकी ये वापसी सही साबित होती दिखाई दे रही है।
फिल्म का सब्जेक्ट
रेवती ने इस फिल्म के जरिए एक ऐसे यूनिवर्सल इमोशनल सब्जेक्ट का चुनाव किया है जिससे हर कोई जुड़ा हुआ महसूस कर सके। एक सच्ची कहानी को पर्दे पर पूरी सेंसेटिविटी के साथ पेश करने का उनका यह कदम सराहनीय है।
मां-बेटे की इमोशनल बॉन्डिंग आपको वाकई में पसंद आएगी। काजोल की दमदार एक्टिंग के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है। फिल्म को अभीतक बॉक्सऑफिस पर काफी अच्छा रिस्पांस मिला है। फिल्म को 5 में से 3 स्टार मिल चुके हैं।