कहानी: फिल्म की कहानी को बहुत सिंपल तरीके से दिखाया गया है। इसमें राज नायर (विद्युत जामवाल) शहर में काम करने वाला जानवरों का डॉक्टर है। 10 साल के लंबे अरसे बाद वह अपनी मां की बरसी पर अपने घर उड़ीसा लौटता है तो उसे कई नई बातों से दो-चार होना पड़ता है। उड़ीसा में उसके पिता हाथियों को संरक्षण प्रदान करने वाली एक सेंचुरी चलाते हैं। उसका पीछा करती हुई पत्रकार मीरा (आशा भट्ट) भी उसके साथ हो लेती है। वह राज के पिता पर एक आर्टिकल करना चाहती है। वहीं राज इस बात से अंजान है की उनसी सेंचुरी में शिकारी (अतुल कुलकर्णी) नजरे गडाए बैठा है। वह हाथियों का दांत हासिल करने के लिए सबकुछ तबाह कर देता है। इसके बाद आगे क्या होता है इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
पत्रिका रिव्यू
हॉलिवुड में ‘मास्क’, ‘स्कॉर्पियन किंग’, ‘इरेजर’ जैसी बम्पर हिट फिल्में दे चुके चक रसेल ने बॉलिवुड की नब्ज को सही ढंग से पकड़ा है।
सिनेमटॉग्रफर मार्क इरविन की सिनेमटॉग्रफी में उड़ीसा के मनोहारी जंगलों, नदियों और उनमें घर बसाए हुए हाथियों को देखना किसी विजुअल ट्रीट से कम नहीं।
फिल्म में विद्युत जामवाल ने बेहतरीन एक्टिंग की।
फिल्म के गाने हैं कमजोर।
कुल मिलाकर पत्रिका एंटरटेमेंट की तरफ से इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार्स दिए जाते हैं। हालांकि आने वाला वक्त बताएगा फिल्म बॅाक्स ऑफिस पर किस तरह का प्रदर्शन करती है।