पाकिस्तान के विभाजन के दौर की कहानी
सच्ची घटनाओं से प्रेरित ‘बंदा सिंह चौधरी’ की कहानी 1971 के युद्ध के बाद की कहानी बयां करती है, जिसके कारण पूर्वी पाकिस्तान का विभाजन हुआ और इस तरह बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना। 1975-1984 के महत्वपूर्ण दौर पर केंद्रित ‘बंदा सिंह चौधरी’ में अरशद वारसी अहम भूमिका निभा रहे हैं। यह भी पढ़ें
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कैसी है एक्टिंग?
फिल्म में वारसी और मेहर (लल्ली) की प्रेम कहानी को खूबसूरती के साथ पर्दे पर उतारा गया है। फिल्म में बताया गया है कि कैसे उनका जीवन सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हो जाता है। यह फिल्म एक प्रेम कहानी के साथ पहचान, न्याय और समाज में अपनी जगह बनाने के दृढ़ संकल्प की लड़ाई को बयां करती है। यह भी पढ़ें
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कैसा है निर्देशन?
बंदा के जरिए उस समय के समाज में अनगिनत व्यक्तियों के संघर्ष को भी दिखाया गया है। फिल्म का निर्देशन अभिषेक सक्सेना ने किया है। उन्होंने सम्मोहक कथा बुनने और दर्शकों को सिनेमाई अनुभव देने के लिए हर एंगल से बेस्ट निकालने में कामयाबी हासिल की है। इसमें कोई शक नहीं है। यह भी पढ़ें
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वास्तव में 114 मिनट के शानदार रनटाइम के साथ फिल्म निर्माता ने यह सुनिश्चित किया है कि आप स्क्रीन से चिपके रहें। फिल्म का गहन बैकग्राउंड म्यूजिक आपको उस संघर्ष के युग में ले जाता है।अरशद वारसी की लंबे अरसे के बाद मुख्य भूमिका में वापसी
लंबे समय के बाद मुख्य भूमिका में वापसी करने वाले अरशद वारसी ने बंदा सिंह चौधरी के रूप में शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने अपने किरदार को इतनी खूबसूरती और सहजता से निभाया है कि दर्शकों का दिल जीत लिया है। भाषा पर अपनी पकड़ से लेकर हर एक बिंदु पर उन्होंने खुद को साबित किया है कि वह कमाल हैं। अभिनेता ने बंदा के रूप में हर फ्रेम को बखूबी निभाया है। यह भी पढ़ें
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वहीं, सीक्रेट सुपरस्टार के बाद मेहर विज ने लल्ली के रूप में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। फिल्म में उनका किरदार काफी मजबूती के साथ गढ़ा गया है,जो कि प्यारी है। लेकिन अपने परिवार की रक्षा करने की बात आती है तो उग्र, दृढ़ निश्चयी और साहसी भी बन जाती है। यह भी पढ़ें