मुरैना. चंबल नदी में जलस्तर फिर से बढऩे लगा है। रविवार को जलस्तर 114 के करीब था। सोमवार को पिनाहट उसैद घाट पर चंबल का जलस्तर शाम तक 118 मीटर के करीब पहुंच गया। यह जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। पिनाहट उसैद घाट पर खतरे का निसान 130 मीटर हैं। पिनाहट उसैद पर बना शिव मंदिर भी आधा डूब चुका हैं। विभाग की माने तो यह जलस्तर अभी और बढ़ेगा। राजस्थान में लगातार बारिश के चलते चंबल नदी का जलस्तर बढ़ गया है। शनिवार को राजस्थान के कोटा बैराज के छह गेट खोल कर करीब 56 हजार क्यूसेक पानी को डिस्चार्ज किया गया है। पानी चंबल नदी में छोड़ेे जाने से नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। जिसे लेकर प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। चंबल में धीरे-धीरे जलस्तर बढ़ रहा है। चंबल के नजदीक रहने वाले ग्रामीण इससे चिंतित हैं। उन्हें अब फिर से बाढ़ आने का खतरा सता रहा है। चंबल से सटे गांवों के ग्रामीणों के साथ ही प्रशासनिक अफसरों की चिंता बढ़ गई है। बढ़ते पानी से किसानों को अपनी बाजरा की फसल के डूबने की चिंता भी सताने लगी हैं। पिछले साल चंबल नदी में आई भयावह बाढ़ ने कई लोगों की गृहस्थी उजाड़ दी थी। पिछले साल आई बाढ़ से आधा सैकड़ा गांव हुए थे प्रभावित पिछले साल चंबल नदी में आई बाढ़ से अंबाह विकासखंड के आधा सैकड़ा गांव प्रभावित हुए थे। जिसमें कंचनपुरा, छैकुरियन कापुरा, घेर, मल्हन का पुरा, बीलपुर गांव, नीवरीपुरा, रामप्रकाश का पुरा, रडुआपुरा, कछपुर, रामगढ़, इंद्रजीत का पुरा, सुखध्यान का पुरा, बीजला, चुस्सलई, कुथियाना, जोहा, खिरेटा, एसाह, सबसुखका पुरा, रतन बसई, मलबसई, गूंज बधा, आरोली, उसैद, नयापुरा, खुर्द रायपुर, नीबरी पुरा, पीपरी पुरा, डंडोली, महासुखका पुरा, रतनबसई, भामई, किशरोली सहित अन्य गांव शामिल हैं। 120 मीटर से ज्यादा पानी होने पर स्टीमर का संचालन होगा बंद जानकारी के अनुसार पिनाहट-उसैद घाट पर चंबल का जलस्तर 120 मीटर से ऊपर होने पर प्रशासन नदी में स्टीमर का संचालन बंद करा देगा। यहां बता दें कि अंबाह से पिनाहट, बटेश्वरा, बाह, राजाखेड़ा व आगरा, फिरोजाबाद व शिकोहाबाद जाने के लिए चंबल के उसैदघाट का रूट शॉर्टकट है इसलिए लोग इस रास्ते से आवागमन ज्यादा पसंद करते हैं। वाया मुरैना होकर आगरा व उससे आगे के कस्बों तक जाने के लिए समय व पैसा दोनों बर्बाद होते हैं। वर्जन – हमने चंबल नदी से सटे गांवों में पंचायत सचिव व पटवारी के माध्यम से जल स्तर बढऩे की सूचना करवा दी है। बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों को उचित स्थान पर विस्थापित किया जाएगा। भूपेन्द्र सिंह कुशवाह, प्रभारी एसडीएम, अंबाह
बाजरे की फसल डूबने को लेकर चिंतित किसान चंबल की बाढ़ से प्रभावित होने वाला अधिकतर गांव में किसानों के खेतों में अभी बाजरे की फसल हैं। बाड़ से हजारों हेक्टेयर फसल चंबल की लहरों द्वारा निगल ली जाती है, जिससे क्षेत्र के हजारों किसान डर के साए में जी रहे हैं।पूर्व में आई बाढ़ से किसानों की फसलें बर्बाद हो गई थी, किसानों के सामने पेट भरने के लिए फसल ही है।