इस पुल (ब्रिज) के शुरु होने से चंबल का यह क्षेत्र राजस्थान के बाड़ी-बसेड़ी से सीधे जुड़ जाएगा। बता दें कि यहां के लोग 34 सालों से इस पुल का इंतजार कर रहे हैं।
नहीं मिली थी एनओसी
तीन महीने के अंदर शुरु होने वाला ये पुल लंबे समय से बन रहा है। बता दें कि 11 करोड़ रुपये की लागत से साल 1988 में पुल निर्माण राजस्थान सरकरा ने शुरु कराया था। ये पुल राजस्थान की सीमा में बन गया लेकिन मध्यप्रदेश में चंबल घड़ियाल अभयारण्य की एनओसी नहीं मिली और इसी बीच निर्माण एजेंसी ने पुल के पिलरों के बीच की दूरी भी तय मानकों से ज्यादा बढ़ा दी। इस कारण साल 1992 में सेवरघाट पुल के निर्माण को बंद कर दिया गया। लेकिन अधूरे पुल के पास ही 25 मीटर ऊंचे नए पुल की स्वीकृति साल 2021 में दी और फरवरी 2022 में इसका निर्माण शुरू हुआ।
कम होगी दूरी
इस पुल के बनने से एमपी के लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। 720 मीटर लंबे पुल के 13 पिलर बन चुके हैं, जिन पर सात स्पान डल चुके हैं। अब 2025 में इस पुल लोगों के लिए शुरु होने की संभावना है। जौरा और कैलारस क्षेत्र के लोगों को राजस्थान के बाड़ी-बसेड़ी, सरमथुरा जाने के लिए मुरैना, धौलपुर होकर जाना पड़ता है। इसके लिए 160 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। लेकिन सेवर घाट पुल बनने के बाद जौरा से बाड़ी की दूरी 60 किलोमीटर रह जाएगी, यानी 100 किमी का फेर बचेगा।