इसके बाद मोटर साइकिल को नेशनल हाइवे क्रमांक 44 से होकर दोहरावली गांव के लिए दौड़ा दिया। वहां मंदिर प्रांगण में काफी संख्या में ग्रामीण बैठे दिखे। उनके बीच सरकारी योजनाओं के लाभ, विकास और उनकी सुख सुविधा के बारे में पूछा, तो भीकम सिंह बोले-विकास तो तन थोरो ही आय पाय रहो, गांमन में कितऊ कछु न है रहो, अस्पताल गांम में हतु नाने, जि बनि रहो हतो वामें विवाद परि गयो भैं ते रुकि कें, दूसरी बगल शुरू करो, भंहू काम रुकि गयो (विकास तो थोड़ा ही आ पा रहा है, गांव में किधर भी कुछ नहीं है। अस्पताल गांव में था, उसके निर्माण में विवाद हो गया, इसके चलते काम रुक गया। दूसरी जगह बनाने का प्रयास किया, वहां भी नहीं बन सका) यहीं राकेश सिंह बोले पानी की बड़ी समस्या है। गांव में टंकी तो बनी हैं पर पाइप लाइन फूटी पड़ी है। दो-दो किमी दूर से पानी ला रहे हैं। संजय सिंह ने बताया कि गांव से सुमावली के रास्ते पर सड़क पंद्रह साल से उखड़ी पड़ी है। वकील सिंह ने कहा कि अटल ज्योति योजना में दो साल पूर्व खंभे खड़े किए, तार खींचे, पर बिजली शुरू नहीं हुई। घर में ट्यूवबेल से तार डालकर बिजली जला रहे हैं। रवि सिंह ने कहा, गांव में ट्रांसफॉर्मर रखे दस साल हो गए, लेकिन अभी तक कनेक्शन नहीं किए। मेवाराम माहौर ने आवास न मिलने की पीड़ा बयान की। शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
आधी सड़क पर डम्बर, आधी पर गोबर
उनसे बात करके दिमनी विधानसभा क्षेत्र से रूबरू होने के लिए निकल गए। शिकारपुर फाटक से होते हुए किशनपुर गांव पहुंचा, जहां गोपालजी मोहल्ले में समूह में बैठे कुछ लोगों से चर्चा की अनुमति मांगी। वे खुशी-खुशी राजी हो गए। विकास व सरकारी योजनाओं पर बात की तो किसान गिर्राज ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है। आधी सड़क पर डम्बर और आधी सड़क पर गोबर डला है, रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं। अस्पताल हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं आते। उन्हीं के साथी सुधाकर पाठक का कहना था, विकास की बात तो ठीक है, लेकिन आम आदमी को बुरी तरह प्रभावित करने वाली महंगाई भी तो नहीं थम रही। हर आदमी महंगाई से परेशान हैं। 1200 रुपए का सिलेंडर है। आदमी तीन दिन की कमाई को सिलेंडर में खपा देगा तो क्या खाएगा? युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा। शोभाराम गौड़ ने सरसों में किसानों को नुकसान का ब्योरा पेश किया। उन्होंने कहा, सरसों में मद्दी जा रही है, किसान को फसल के वाजिब दाम नहीं मिल रहे हैं। पवन पाठक ने कहा कि जमीनी कर्मचारी पटवारी, ग्राम सेवक, शिक्षक, स्वास्थ्य कर्मचारी नियमित नहीं आते। यहां हॉस्पिटल है, लेकिन स्टाफ नहीं आता। कोतवाल डेम हैं, उसमें स्टीमर की व्यवस्था हो तो क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा और युवाओं को रोजगार मिले।
इलाज के लिए गांव में कोई नहीं आता
किशनपुर से दो किमी कच्चे रास्ते से होकर नगरा पहुंचा, तो वहां 70 वर्षीय पंचम सिंह को सड़क किनारे खेत में काम करते पाया। उनसे बात छेड़ी तो बोले, विकास की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। स्वास्थ्य की बात पर बोले गांव में कोई नहीं आता। खेत में ही काम कर रही उनकी पत्नी बोलीं, का तुमें कन्नोए। यहां से आगे माता बसैया में थाने के सामने गुमटी पर बैठे उपेन्द्र सिंह ने भी फसल के सही दाम न मिलने की शिकायत की। आगे सुरजनपुर में रामवीर डंडोतिया ने जनप्रतिनिधियों को कोसा। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि चुनाव में जो वादे करते हैं, बाद में पूरे नहीं करते।
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