घंटों की मेहनत के बाद तैयार होता है मिठास का जायका
गजक खाने में जितनी स्वादिष्ट और सेहतमंद होती है, इसको बनाना उतना ही कठिन है। गुड़ को गर्म करके तैयार की गई चासनी को घंटों खींच-खींचकर लचीला बनाया जाता है। इस तैयार चासनी के साथ तिली को मिलाकर आधा से पौन घंटे कुटाई (खस्ता) किया जाता है। फिर इसे विशेष आकार में काटकर काजू, पिस्ता, बादाम सहित अन्य मेवों के साथ सजाकर तैयार किया जाता है।
मुरैना के पानी की तासीर बनाती है गजक को स्वादिष्ट
यूं तो मुरैना के गजक कारीगर दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, चंडीगढ़, देहरादून, इंदौर, उज्जैन सहित कई शहरों में जाकर गजक को तैयार करके बेचते हैं। लेकिन मुरैना के पानी से तैयार गजक की तासीर अलग ही है। गजक कारोबारी ताराचंद्र शिवहरे ने बताया कि मुरैना के मीठे भूजल से तैयार गजक का स्वाद अन्य जगहों पर तैयार गजक से दो से तीन गुना अधिक होता है।
150 साल पहले मुरैना में तैयार हुई थी विशेष मिठाई
मुरैना शहर में रहने वाले सीताराम शिवहरे ने 100-125 साल पहले सर्दियों के सीजन में गुड़ और तिली को मिलाकर गजक का जायका तैयार किया था। चूंकि गुड़ और तिल गर्म होता है, जिससे सर्दी में शरीर को गर्माहट मिलती है, इसलिए गजक का जायका लोगों को काफी पसंद आया। वर्तमान में गुड़-शक्कर की गजक, घी की पट्टी, समोसा गजक, मलाई-बर्फी गजक, चॉकलेटी गजक, गजक की बर्फी सहित 20-22 वैरायटियों में गजक उपलब्ध है।
ऑनलाइन डिलीवरी, कोरियर सुविधा ने बढ़ाई गजक की डिमांड
अभी तक स्थानीय लोग दुकानों से गजक खरीदकर देश-विदेश में बैठे अपने रिश्तेदारों को गजक भिजवाते थे। लेकिन गजक कारोबारियों ने 2023 से गजक की होम डिलीवरी और कोरियर सेवा शुरू की है, जिसके जरिए आप ऑनलाइन ऑर्डर का मनचाहे एड्रेस पर गजक को मंगवा या भिजवा सकते हैं।
मकर संक्रांति पर तिलदान का महत्व, इसलिए गजक की देशभर में डिमांड
मकर संक्रांति पर्व पर तिलदान का विशेष महत्व होता है। इसलिए तिल से बनी गजक को लोग अपने नाते-रिश्तेदारों को भेंट करते हैं ताकि सेहत व स्वाद के साथ पुण्य लाभ भी अर्जित कर सकें। मकर संक्रांति पर मुरैना जिला मुख्यालय पर 50 से अधिक दुकानें सजती हैं, जहां से हजारों क्विंटल गजक की बिक्री होती है।
छोटे-बड़े 250 दुकानदार, 500 कारीगर दूसरे शहरों में कर रहे कारोबार
मुरैना की फेमस गजक की डिमांड का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले मुरैना में ही छोटे-बड़े 250 दुकानदार हैं। वहीं 500 से अधिक कारीगर देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर गजक तैयार कर उसे बेचते हैं।