अंबाह जनपद में शवयात्रा से पहले तिरपाल ढूंढते हैं लोग
– हाथी का पुरा में जरा सी बारिश में ही तिरपाल लगाकर करना पड़ा अंतिम संस्कार
– मुक्तिधाम पर टीनशेड की कमी के कारण परिजनों ने ग्रामीणों के सहयोग से बारिश के बीच अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की
– प्रशासन की गैर जिम्मेदारी के चलते अंबाह क्षेत्र में मृतक को सम्मानजनक तरीके से नहीं मिल पा रही अंतिम संस्कार की सुविधा
मुरैना. कहते हैं कि मरने के बाद लोगों को शांति मिल जाती है, लेकिन मुरैना जिले के अंबाह विकासखंड के अधिकतर गांव में किसी की मृत्यु के बाद उसके शव का अंतिम संस्कार करने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं। इसकी वजह यह है कि यहां के मुक्तिधाम में बारिश से बचाव का कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में बरसात के दौरान दाह संस्कार के लिए आने वालों को खुले आसमान के नीचे तिरपाल लेकर अंतिम क्रियाएं करनी पड़ रही हैं। यहां तक कि दाह संस्कार के बाद दूसरे दिन राख व हड्डियां जुटाने के लिए भी तिरपाल लेकर आना पड़ता है। ताजा मामला अंबाह जनपद के बरेह पंचायत के हाथी का पुरा गांव का है। यहां सोमवार की शाम पांच बजे सुलेखा (50) पत्नी शिवनाथ तोमर निवासी हाथी का पुरा पंचायत बरेह की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार करने में स्थानीय लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा। गांव के मुक्तिधाम पर टीनशेड नहीं होने के कारण परिवार और गांववासी बारिश के बीच अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा करने में मजबूर हुए। सोमवार को सुबह से ही अंबाह क्षेत्र में रिमझिम बारिश का सिलसिला जारी रहा। ऐसे में, मृतक महिला के परिवार और गांववासियों ने बरसात से बचने के लिए तिरपाल तानकर अंतिम संस्कार की व्यवस्था की। हालांकि, इस अस्थायी व्यवस्था के बावजूद रिमझिम बारिश ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को बेहद कठिन बना दिया।