मोरेना

विश्व मे सबसे ज्यादा घड़ियाल हमारे चंबल अभयारण्य में

वर्ष 2007-08 में चंंबल में 100 से अधिक घडिय़ालों की रहस्यमयी मौत के बाद यहां इनके संरक्षण पर सवाल खड़े होने लगे थे और संख्या भी 1000 के नीचे चली गई थी। लेकिन उसके बाद यहां घडिय़ाल फिर से पनपना शुरू हो गए।

मोरेनाJan 19, 2020 / 07:57 pm

Ravindra Kushwah

चंबल के राजघाट पर प्रवासी पक्षियों के बीच धूप सेंकते घडिय़ाल।

मुरैना. अति संकटापन्न जलीय जीव घडिय़ाल संरक्षण के मामले में चंबल नदी विश्व में सिरमौर है। वर्ष 2019 में हुए वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट के एक सर्वे में यह बात सामने आई है। 435 किमी में फैली चंबल सेंचुरी के कुछ हिस्से में किए गए सर्वे के अनुसार यहां घडिय़ालों की संख्या 1255 पाई गई है।
चंबल सेंचुरी मप्र के तीन जिलों मुरैना, भिण्ड और श्योपुर जिले में 4335 किलो तक फैली है। उत्तरप्रदेश के इटावा, आगरा और राजस्थान के धौलपुर, करौली जिले इससे लगते हैं। मुरैना, भिण्ड और श्योपुर जिले के सभी प्रमुख घाटों पर रेत के अवैध उत्खनन से होने वाले विस्थापन के बावजूद यहां घडिय़ालों की संख्या में वृद्धि होना सुखद है। फरवरी में होने वाली जलीय जीव गणना में इनकी संख्या और बढ़ सकती है। क्योंकि बीते एक साल में 100 के करीब घडिय़ाल तो देवरी संरक्षण केंद्र में ही तैयार करके चंबल में छोड़े जा चुके हैं। 30 जनवरी व 6 फरवरी 2019 को 2 बार में 85 घडिय़ाल शावक चंबल में छोड़े गए थे। इस प्रकार चंबल में घडिय़ालों की संख्या 1340 के करीब हो गई थी। बिहार की गंडक नदी में घडिय़ालोंं की संख्या विश्व में दूसरे स्थान पर है। यहां 251 घडिय़ाल पाए गए हैं। उत्तरप्रदेश में गिरवा, उत्तराखंड में रामगंगा, नेपाल में नारायणी राप्ती नदी में भी घडिय़ालों के लिए अनुकूल माहौल है। बहते साफ पानी में पनपने वाले घडियालों के लिए चंबल सबसे श्रेष्ठ नदी है। यहां 100 के करीब डाल्फिन और 500 के करीब मगर भी हैं। घडिय़ाल और मगर के दर्शन तो मोटर बोटिंग के दौरान और राजघाट के आसपास अक्सर हो जाते हैं, लेकिन डॉल्फिन मुरैना जिले में रेलवे पुल से भिण्ड की ओर और भिण्ड जिले में बरही घाट के आसपास यदाकदा ही दिख पाती हैं।
मार्च-अप्रैल में देते हैं अंडे
घडिय़ाल हर साल मार्च-अप्रैल में चंबल कि किनारे रेत में अंडे देते हैं। इन अंडों को संकलित कर देवरी घडिय़ाल केंद्र लाया जाता है। यहां जो बच्चे निकलते हैं उन्हें 1.20 मीटर की लंबाई होने तक करीब 3 साल तक पाला जाता है। इस दौरान के उनके पोषण का पूरा ध्यान रखा जाता है। 1.20 मीटर की लंबाई होने के बाद यह माना जाता है कि घडिय़ाल शावक अब चंबल में अपना भरण-पोषण कर सकते हैं।
कथन-
वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट की कुछ दिन पहले आई रिपोर्ट में संकटापन्न जलीय जीव घडिय़ालों की संख्या में विश्व में सर्वाधिक चंबल मे पाई गई है। हमारे लिए यह गौरव की बात है। बहते हुए स्वच्छ और शुद्ध पानी की वजह से यहां घडिय़ाल आसानी से पनपते हैं।
पीडी गेब्रियल, डीएफओ, मुरैना।

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