यह भी पढ़ें- Bhojshala ASI Survey : भोजशाला सर्वे का 35वां दिन, ये तारीख नोट कर लें, सर्वे टीम कोर्ट में पेश करेगी अपनी रिपोर्ट कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लंबा चोड़ा पोस्ट किया है। इसी में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से 3 सवाल भी पूछे हैं। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा- ‘आज मध्य प्रदेश के मुरैना जा रहे प्रधानमंत्री से हमारे सवाल।
- मुरैना में सेना भर्ती को लेकर भाजपा के बड़े-बड़े वादों का क्या हुआ?
- मध्य प्रदेश के गांवों में अभी भी पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव क्यों है?
- मुरैना के लोग अवैध बिजली प्राप्त करने के लिए क्यों विवश हो रहे हैं?
जुमलों का विवरण
1- जब तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2018 में मुरैना का दौरा किया तो उन्होंने वादा किया था कि एक या दो साल में वहां एक सैनिक स्कूल स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहानियां सुनाईं कि कैसे, जब भी वो देशभर की सीमा चौकियों पर जाती हैं तो उन्हें भिंड-मुरैना के सबसे अधिक सैनिक वहां तैनात मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूल से मुरैना के शिक्षित युवा सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा कर सकेंगे। उसी कार्यक्रम में तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि वे भिंड-मुरैना क्षेत्र में सेना का स्थानीय भर्ती कार्यालय स्थापित करेंगे। 6 साल बाद इनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ। इसके बजाय, अग्निपथ के माध्यम से मोदी सरकार ने सशस्त्र बलों की पवित्रता और भिंड-मुरैना के हज़ारों महत्वाकांक्षी युवाओं का भविष्य बर्बाद कर दिया है। निर्मला सीतारमण के जोशीले वादों का क्या हुआ? उन लोगों ने मध्य प्रदेश के युवाओं के साथ विश्वासघात क्यों किया है ? 2- मोदी सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) ने मध्य प्रदेश के ग्रामीण हिस्सों, विशेष रूप से आदिवासी बस्तियों में नाकाम रहा है। 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 4.5 लाख शौचालय गायब पाए गए और बजट से 540 करोड़ रुपए सरकारी अधिकारियों द्वारा निकाल लिए गए थे। जबकि, जल और स्वच्छता विभाग का दावा है कि जिन 99.6% घरों में शौचालय की सुविधा थी। उनके पास बहते पानी की भी सुविधा थी, लेकिन ज़मीनी हकीकत बिलकुल अलग तस्वीर पेश करती है। शौचालय बिना सेप्टिक गड्ढों के बनाए गए और कई गांवों में पानी की कमी शौचालय के नियमित उपयोग में एक बड़ी बाधा रही है। पानी की उपलब्धता में गिरावट आई है। उदाहरण के लिए शिवपुरी में लगभग 500 गांव ऐसे हैं जो फरवरी तक ही अपने साल की 50 फीसदी जल आपूर्ति खत्म कर देते हैं। क्या स्वच्छ भारत और हर घर जल के बड़े-बड़े वादे भी सिर्फ जुमले थे ?
3- मुरैना जिले को देश का एकमात्र ऐसा जिला होने का नकारात्मक गौरव प्राप्त है, जहां विशेष प्रकार के बिजली के तारों और बिजली के हीटरों पर धारा 144 लागू की गई है। कलेक्टर कार्यालय को ये कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि बेरोज़गारी और महंगाई से झूझते लोग इन तारों और हीटर के हिस्सों से अवैध बिजली प्राप्त करने के लिए मजबूर हैं। मुरैना को हर महीने 110 करोड़ रुपए की बिजली सप्लाई की जाती है, लेकिन बिजली कंपनी को सिर्फ 38 करोड़ रुपए भुगतान ही होता है। इसमें भी 28 करोड़ रुपए उद्योगों से मिलते हैं, यानी मुरैना में 85 फीसदी से अधिक बिजली अवैध रूप से लेने को मजबूर है। ज़िले में ज्यादातर लोगों के पास अस्थायी कनेक्शन पर भरोसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं, जो तरह-तरह की बिजली की समस्याओं और ट्रांसफार्मर विस्फोट के लिए भी जिम्मेदार है। अब लगभग दो दशकों तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा मुरैना के लोगों को वैध बिजली कनेक्शन प्रदान करने में असमर्थ क्यों है ?’