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इतने मरीज आते हैं रोजाना
मुरादाबाद के जिला अस्पताल में पूरे मंडल से करीब बारह सौ रोगी प्रतिदिन अपना इलाज कराने आते हैं। महिला अस्पताल में भी रोजाना करीब दो से ढाई सौ मरीज आते हैं। यह मंडल का सबसे बड़ा अस्पताल है। अमरोहा, रामपुर व सम्भल जनपद से मरीज रैफर होकर भी यहां पहुंचते हैं। ऐसे में यहां की व्यवस्थाएं चाक-चौबंद होनी चाहिए। मगर जिला अस्पताल सफेद हाथी बना हुआ है। केवल बिल्डिंग बड़ी है व्यवस्थाएं नहीं। पिछले सप्ताह भर से मरीज और उनके तीमारदार पीने के पानी को तरस रहे हैं। इमरजेंसी के बाहर लगा इंडिया मार्का हैंडपंप भी खराब पड़ा है।
खरीद कर पानी पीने को मजबूर
मरीजों के लिए तीमारदारों को पीने का पानी बाहर से खरीदकर लाना पड़ रहा है। शौचालयों में पानी नहीं है। यूं तो यहां तीन-चार आर ओ लगे हैं मगर भीषण गर्मी में सभी जवाब दे गए। लोगों को पीने के पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा। सभी वाटरकूलर या तो खराब हैं या फिर उन्हें चलाया ही नहीं जाता। तीमारदार आनंद का कहना है कि दो दिन हो गए यहा पर पीने को पानी नही है, बाजार से पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है बहुत बुरी स्थिति है अस्पताल की।
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तीमारदारों ने जताई नाराजगी
मरीज बब्लू प्रजापति ने बताया कि अस्पताल के परिसर में पानी पीने को नही मिल रहा है हज़ारों की संख्या में मरीज यहा आते है सब परेशान है। डाक्टर आते है एसी में बैठ जाते है कोई व्यवस्था को देखने वाला नही है। तीमारदार एसपी चौहान ने बताया की एक हफ्ते से पानी के लिए परेशान है वाटर कूलर सब खराब पड़े है प्याऊ में खोलता पानी मिल रहा है। यहा तक कि टॉयलेट तक मे पानी नही है मरीज और तीमारदार बहुत परेशान है।
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इस विभाग को ठहराया जिम्मेदार
वहीँ सी.एम.एस. डा. ज्योत्सना पंत इसके लिए अस्पताल प्रशासन की बजाए जनता को ही ज्यादा जिम्मेदार मानती हैं। उनका कहना है कि जिला अस्पताल में आने वाले मरीज व उनके तीमारदार भी अपनी जिम्मेदारी समझें। तभी बात बन सकती है। जब उनसे पूछा गया कि चार दिन से अस्पताल में पानी क्यों नहीं आ रहा है तो उनका कहना था कि हफ्ते भर से नहीं बल्कि मंगलवार दोपहर से पानी नहीं है। उन्होंने इसका कारण बिजली का केबिल फुंकना बताया। यदि उनकी बात ही मान ली जाए तब भी भीषण गर्मी में पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधा से मरीज व तीमारदार महरूम क्यों रहे। इसका ठीकरा भी उन्होंने बिजली विभाग पर ही फोड़ दिया।