मुरादाबाद

Ground Report: लॉक डाउन के चलते तरबूज की मिठास के बावजूद किसानों के चेहरे से गायब हो गयी मुस्कान

Highlights -11 हजार बीघा में होती है तरबूज की फसल -हजारों किसानों के सामने खड़ी हो गयी है मुश्किल -बेचने से लेकर फसल बचाने की जद्दोजहद में हैं इन दिनों किसान -सरकार की तरफ से भी अभी तक नहीं मिली है कोई राहत

मुरादाबादMay 03, 2020 / 03:05 pm

jai prakash

जय प्रकाश@पत्रिका

मुरादाबाद: लॉकडाउन के चलते आम जन जीवन बुरी तरह प्रभावित है, वहीँ इसकी मार किसानों पर भी सीधी देखने को मिल रही है। जी हां इस सीजन में रामगंगा किनारे तरबूज की फसल कर आजीविका चलाने वाले किसानों के सामने ख़ासा मुश्किल है। क्यूंकि फसल जमीन पर पड़ी है और मंडी तक पहुंचाने के लिए वाहन नहीं मिल पा रहे। यही नहीं समय से कीटनाशक न मिल पाने से पकी फसल में कीड़ा लग रहा है। जनपद में तरबूज किसानों के हालात का जायजा लिया हमारे संवादाता जय प्रकाश ने। पेश है मुरादाबाद से ये ग्राउंड रिपोर्ट।

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ये हैं चुनौतियां
जनपद के ग्राम सिकंदरपुर पट्टी में रामगंगा नदी किनारे लगभग 11 हजार बीघा जमीन में हर साल किसान तरबूज की खेती करते हैं। इस साल तरबूज की फसल तैयार हो चुकी है, लेकिन इसको बाजार तक पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है। तरबूज उगाने में लाखों रुपये लगाने वाले किसान नुकसान की आशंका से सहमे हुए हैं, और प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं। तरबूज किसान रामकुमार सैनी, परमेश्वर सैनी का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उन पर दोहरी मार पड़ रही है। पिछले एक महीने से बाजार में फसल के लिए दवाइयां मुश्किल से मिल रही है और जो दवाइयां उपलब्ध हैं उनकी कीमत भी बढ़ गई है। दवाइयों का इस्तेमाल नहीं होने से तरबूज की बेलें सूख रही हैं, जिससे नुकसान बढ़ गया है। उन्होंने आगे बताया कि तय समय पर लॉकडाउन खुलने से बाजार में तरबूज काफी मात्रा में पहुंचेगा। जिससे कीमतों पर असर पड़ना स्वाभाविक है।

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इन क्षेत्रों में होती है खेती
जनपद के नाजरपुर, मछरिया, पाकबड़ा क्षेत्रों में हर साल सैकड़ों टन तरबूज उगाया जाता है। खेतों में तरबूज को ज्यादा दिन तक रखने में जहां इनके खराब होने का डर है। वहीं किसानों को भी इससे अतिरिक्त खर्च झेलना पड़ेगा। किसान राम भरोसे बीस बीघा जमीन में दो लाख रुपये खर्च कर तरबूज की फसल उगाई है लेकिन अब नुकसान की आशंका से उनकी नींद उड़ी हुई है।

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