बिजनौर। उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड बार्डर पर रामगंगा परियोजना कालागढ़ बांध आतंकियों के निशाने पर है। फिर भी उत्तर प्रदेश सरकार ने बांध की सुरक्षा में लगे एक डिप्टी एसपी सहित डेढ़ दर्जन पुलिस कर्मचारी-अधिकारी एक साल से हटा रखे हैं। आतंकियों ने यदि बांध को नुकसान पहुंचाया तो उसकी भयावता का अंदाजा लगाना भी मुश्किल होगा। वर्तमान में कालागढ़ बांध में ढाई लाख मिलियन क्यूसेक पानी है। रामगंगा परियोजना देश ऐसी पहली परियोजना है, जिसका डिजाइन और निर्माण सब सिंचाई विभाग ने किया है।यूपी के हिस्से है सुरक्षारामगंगा परियोजना कालागढ़ देश की गौरवशाली ऐसी परियोजना है, जिसका निर्माण पूर्णतः स्वदेशी है। इस परियोजना के निर्माण में 88 लोगों ने बलिदान तक दे दिया था। उत्तर प्रदेश के बंटवारे के समय पावर हाउस उत्तराखंड के हिस्से में आया, जबकि सुरक्षा का दायित्व उत्तर प्रदेश के हिस्से में आया। एशिया का यूनिक स्ट्रेक्चर बांध संवेदनशील परियोजना में से एक है। ढाई लाख मिलियन क्यूसेक पानी वाली इस परियोजना की सुरक्षा एक साल से राम भरोसे है। इस परियोजना की सुरक्षा में एक डिप्टी एसपी सहित 18 पुलिस कर्मचारी व अधिकारी तैनात रहते थे।बांध पर जा सकता है कोई भीपरशुराम यादव स्थानीय निवासी की मानें तो एक साल से उत्तर प्रदेश सरकार के लापरवाही से परियोजना की सुरक्षा लावारिश हालत की स्थिति में पहुंच गई है। अगर बिना किसी सुरक्षा के कालागढ़ परियोजना को आतंकी नुकसान पहुंचाते हैं, तो देश के नार्दन पार्ट पर उसकी भयावता का अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो जाएगा। बांध पर बिना रोक-टोक के कोई भी आ-जा सकता है और निषिद्ध क्षेत्र होने के बाद भी फोटोग्राफी कर जाता है।हो सकती है भयानक तबाहीरामगंगा बांध कालागढ़ के अधीक्षण अभियंता देवेन्द्र कुमार शर्मा का कहना है कि परियोजना को आतंकी संगठन के निशाने पर मानते हैं। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था के लिए हम हर स्तर पर प्रयास भी कर रहे हैं। अगर कभी मिट्टी के इस बांध पर खतरा हुआ तो देश के लिए भयानक तबाही का कारक बन सकता है।बढ़नी चाहिए सुरक्षाअधिशासी अभियंता सीमांत कुमार ने बताया की क्षेत्र के लोग कालागढ़ बांध की सुरक्षा अति आवश्यक मानते हैं और आतंकवाद से प्रभावित बिजनौर जिले में बांध पर बिना तलाशी के जाने पर पाबन्दी जरूर होनी चाहिए। साथ ही जल्द इसकी सुरक्षा को लेकर यूपी गवर्मेंट को यहां पुलिस बल बढ़ना चाहिए।