रेलवे का कहना है कि मुरादाबाद में पहले इस ट्रेन का 115 किलोमीटर की स्पीड पर ट्रायल किया जाएगा। यहां लगभग एक महीने तक यह ट्रायल चलेगा। इस दौरान देखा जाएगा कि ट्रेन के सारे सिस्टम ठीक तरह से काम कर रहे हैं या नहीं। इसके अलावा इस दौरान यह भी चेक किया जाएगा कि ट्रेन चलाने के वक्त जितनी भी तरह की प्रक्रियाएं होती हैं, वह ट्रायल के दौरान ठीक तरह से काम कर रहें हैं या नहीं। सब कुछ ठीक रहा तो इसके बाद इस ट्रेन का आगरा सेक्शन पर 130 से 150 किलोमीटर की स्पीड पर ट्रायल किया जाएगा। यह ट्रायल भी अगर सही रहा तो इसकी स्पीड बाद में और बढ़ाई जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि जनवरी तक ये सभी ट्रायल पूरे हो जाएंगे। इसके बाद कमिश्नर रेलवे सेफ्टी से इसकी क्लीयरेंस मिलने के बाद जनवरी के अंत या फिर फरवरी में इस ट्रेन को पैसेंजरों के लिए शुरू कर दिया जाएगा।
इंडियन रेलवे के टॉप अफसर के मुताबिक सोमवार को भले ही इस तरह की ट्रेन को औपचारिक तौर पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के सुपुर्द किया गया हो, लेकिन अभी यह ट्रेन चेन्नई में ही है और अगले एक सप्ताह तक आरडीएसओ चेन्नई में ही इस ट्रेन का स्ट्रैटेजिक टेस्ट करेगा। लगभग एक सप्ताह में जब यह टेस्ट पूरा हो जाएगा, उसके बाद ही इस ट्रेन को चेन्नई से मुरादाबाद लाया जाएगा। रेलवे बोर्ड के अफसरों के मुताबिक उम्मीद है कि अगले 10 दिन में यह ट्रेन मुरादाबाद पहुंचेगी। हालांकि, यह ट्रेन अपने ही सिस्टम से दिल्ली नहीं लाई जाएगी, बल्कि इस ट्रेन को रेलवे का परंपरागत इंजन ही खींचकर मुरादाबाद तक लाएगा। इसके बाद ही यह ट्रेन अपने सिस्टम से चलेगी। मेट्रो की तरह दोनों ओर चलने वाली इस ट्रेन में अलग से इंजन नहीं होगा, बल्कि ट्रेन के पहले कोच में ही इसका इंजन सिस्टम है।