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अखिलेश यादव ने लखनऊ में बैठे-बैठे कर दियाआपको बता दें कि गन्ने का बकाया और किसानों को उचित रेट पर खाद और बीज न मिलने समेत कई मांगों को लेकर देश भर के किसानों ने आज एक जून से दस जून तक शहरों में दूध और सप्लाई ठप करने का एक महीने पहले ही ऐलान किया था। जिसका असर पहले दिन कुछ ख़ास नहीं दिखा, लेकिन मुरादाबाद मंडल में किसानों ने जगह-जगह बड़ी मंडियों में सप्लाई रोककर प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार से किसानों के हित में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग की।
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जनपद मुरादाबाद के बिलारी कस्बे में सुबह से ही किसान सड़कों पर आ गए थे और शहर के लिए दूध और सब्जी नहीं जाने दी। वहीं संभल में भी किसानों ने हयातनगर थाना क्षेत्र में बुलंदशहर मार्ग पर जाम लगा दिया और सड़कों पर फल और सब्जियों के साथ दूध भी बहा दिया। किसानों ने कहा अभी दस दिन सिर्फ ये प्रदर्शन चलेगा अगर सरकार नहीं मानी तो फिर सिवाय सड़कों पर उतरने के कुछ नहीं रहेगा। भारतीय किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष ऋषिपाल सिंह ने कहा कि सरकार और प्रशासन चीनी मिलों के साथ मिलकर किसानों का शोषण कर रहे हैं। हमारे बच्चे भूखे मरने की कगार पर आ गए हैं। जब किसानों के लिए नियम है कि पन्द्रह दिन के अंदर किसानों का भुगतान होना चाहिए तो चीनी मिलें किसकी शह पर किसानों का पैसा दबाये बैठी हैं। एक दिन में 35 करोड़ जारी होने पर कहा कि ये सिर्फ दिखावा है। किसानों को ब्याज सहित पूरा पैसा मिलना चाहिए। जब तक नहीं मिलेगा तब तक आन्दोलन चलेगा।
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यहां बता दें कि किसानों की दशा को लेकर देश भर के किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसमें वे पहले एक जून से दस जून तक शहरों में दूध और सब्जी की सप्लाई रोकेंगे। अगर उसके बाद भी सरकार ने उनकी मांगों को अनदेखा किया तो फिर तीव्र आन्दोलन होगा। शुक्रवार को पहले दिन भले ही किसानों के प्रदर्शन का असर ज्यादा न देखने को मिल रहा हो लेकिन किसानों के तेवरों से साफ़ है कि इस बार वे बिना ठोस आश्वासन के वापस नहीं लौटेंगे। लिहाजा अगले दो से तीन दिन में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
यहां बता दें कि किसानों की दशा को लेकर देश भर के किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसमें वे पहले एक जून से दस जून तक शहरों में दूध और सब्जी की सप्लाई रोकेंगे। अगर उसके बाद भी सरकार ने उनकी मांगों को अनदेखा किया तो फिर तीव्र आन्दोलन होगा। शुक्रवार को पहले दिन भले ही किसानों के प्रदर्शन का असर ज्यादा न देखने को मिल रहा हो लेकिन किसानों के तेवरों से साफ़ है कि इस बार वे बिना ठोस आश्वासन के वापस नहीं लौटेंगे। लिहाजा अगले दो से तीन दिन में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।