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ऐसे करेगी काम स्मार्ट ईवीएम
एम.आई.टी. के इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग के छात्रों उदित अग्रवाल,शुभम कुमार और दीक्षा भाटिया ने तैयार किया है। इस स्मार्ट ईवीएम को आधार प्रणाली से जोड़ा गया है। छात्रों ने बताया कि जो मशीन पीठासीन अधिकारी के पास होती है। उसे बाह्य मेमोरी डिवाइस से जोड़ा गया है। इस डिवाइस में वोटर लिस्ट में शामिल ,मतदाताओं का सारा डाटा फीड रहेगा। ईवीएम मशीन में एक ही बायोमैट्रिक सिस्टम लगाया गया है। बायोमैट्रिक सिस्टम, मेमोरी डिवाइस और ईवीएम यूनिट को माइक्रो कंट्रोलर से कनेक्ट किया जाएगा। अब जब कोई वोट डालने आएगा तो फिंगर प्रिंट सेंसर से उसका डाटा स्क्रीन पर आ जायेगा। इससे पता चल जायेगा मतदाता सही है या फर्जी। इसके सत्यापन के बाद वोट देने के लिए दूसरी यूनिट के पास भेजा जायेगा।
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यहां से आया आईडिया
छात्र उदित और शुभम ने बताया कि ईवीएम विवाद के बाद उनके दिमाग इसका आईडिया आया। जिसके बाद विभाग के अस्सिटेंट प्रोफेसर राजुल मिश्रा,अलोक अग्रवाल,अलोक पाण्डेय और मनु से चर्चा की और करीब डेढ़ साल में ये प्रोजेक्ट पूरा हुआ। अब इसके पेंटेंट के लिए प्रयास किया जा रहा है। जिसे जल्द ही मिलने की उम्मीद जगी है।
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1989 में पहली बार हुआ था प्रयोग
यहां बता दें कि देश में सबसे पहले इलेक्शन कमिशन ने 1989 में इसका पहली बार प्रयोग किया था।और 1998 में 16 विधानसभाओं में इससे वोटिंग भी कराई गयी। धीरे धीरे आम चुनाव और राज्यों के चुनाव भी अब पूरी तरह ईवीएम से कराये जा रहे हैं। कुछ संशय के बाद आयोग ने वीवीपेट मशीनों का प्रयोग शुरू कर दिया है। मगर आये दिन विपक्षी दलों द्वारा उठाये जा रहे सवालों पर ये प्रोजेक्ट जरुर अंकुश लगा सकता है।