1981 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी से किया एमबीबीएस 60 वर्षीय डॉ. एसटी हसन पेशे से डॉक्टर हैं। उन्होंने 1981 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस किया है। इसके बाद डॉ. एसटी हसन ने मास्टर इन सर्जरी (एमएस) भी की। सांसद बनने से पहले तक वह रोज अपने मरीजों को समय देते थे। हालांकि, अब वह इतना वक्त नहीं दे पा रहे हैं। डॉ. एसटी हसन का फैज गंज में बड़ा नर्सिंग होम है। मुरादाबाद के मेयर बनने के बाद भी उन्होंने मरीजों को देखना नहीं छोड़ा था।
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यह है डॉ. एसटी हसन का पूरा नाम (ST Hasan Full Name) डॉ. एसटी हसन का पूरा नाम सैयद तुैल हसन है। उनका जन्म मुरादाबाद में हुआ है। एसटी हसन के पिता का नाम सैयद नासिर हुसैन है। सैयद नासिर हुसैन जमीदार थे। वह अंग्रेजोें के जमाने में अधिकारी भी रहे थे। उनका राजनीति से दूर-दूर तक वास्ता नहीं था। एसटी हसन भी मेयर बनने तक राजनीति से दूर रहे। उन्हें राजनीति में लाने वाले सपा के कद्दावर नेता आजम खान हैं। 2014 का लोकसभा चुनाव एसटी हसन वर्ष 2006 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मुरादाबाद के मेयर बने थे। इसके बाद अप्रैल 2009 में उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया था। बाद में वह वापस समाजवादी पार्टी में आ गए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने उनको मुरादाबाद से टिकट दिया था। उस चुनाव में उनके सामने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कुंवर सर्वेश सिंह को मैदान में उतारा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में एसटी हसन को 3,97,720 वोट मिले थे। वह सर्वेश सिंह से 87 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए थे।
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2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी मुश्किल से मिला टिकट 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। मुरादाबाद में पहले एसटी हसन का नाम चर्चा में था, लेकिन सपा की तरफ से मीट कारोबारी नासिर कुरैशी को मौका दे दिया गया। इसके बाद सपा के स्थानीय विधायक नाराज हो गए। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से टिकट बदलने की बात कही। इतना ही नहीं, एसटी हसन के समर्थकों ने तो पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने तक की चेतावनी दे दी थी। इसके बाद आलाकमान को अपना फैसला बदलना पड़ा था। टिकट मिलने के बाद एसटी हसन आलाकमान के फैसले पर खरे उतरे। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार कुंवर सर्वेश सिंह को 97 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। यह भी पढ़ें