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एक ही जनपद के नेताओं का बढ़ा कद
यहां बता दें कि पिछले महीने ही मायावती ने राज्यसभा सांसद वीर सिंह को राष्ट्रिय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी थी। और अब यहीं से गिरीश चन्द्र को पश्चमी यूपी प्रभारी की कमान सौंपना उनकी मजबूत रणनीति माना जा रहा है। दोनों नेता मायावती के वफादार के साथ ही सजातीय भी हैं और संगठन की शुरुआत से साथ जुड़े हैं। फिर इससे ये सन्देश भी जाएगा कि पार्टी वफादारों के लिए अभी भी पार्टी में उचित स्थान है।
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सजातीय वोट बैंक साधने की कोशिश
वेस्ट यूपी में मुस्लिम वोट बैंक को देखते हुए मायावती ने पहले मुनकाद अली को यहां का प्रभारी बनाया था फिर उसके बाद लोकसभा चुनावों में हार के बाद नसीमुद्दीन को प्रभारी बनाया गया था। लेकिन बीते विधान सभा चुनाव में पार्टी को सबसे अधिक नुकसान इसी इलाके में हुआ। दलित मुस्लिम गठजोड़ की वजह से मुरादाबाद मंडल बसपा के लिए मजबूत आधार माना जाता था। 2007 में यहां सबसे ज्यादा विधायक उसके पास थे। अब गठबंधन की स्थिति में बसपा अपने बेस वोट को अपने भरोसे और मुस्लिम वोटरों को सपा और कांग्रेस के सहारे साधने की कोशिश करेगी। इसीलिए एकाएक उसने इन नेताओं को नयी जिम्मेदारी सौंपी है।
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ये जाएगा सन्देश
फ़िलहाल वक्त इस समय गिरीश चन्द्र के साथ ही समसुद्दीन राईनी के साथ ही राजकुमार और सूरज सिंह भी वेस्ट यूपी की कमान संभाले है। लेकिन कुछ ही वक्त में केवल एक जिले के पदाधिकारियों पर मायावती का भरोसा सीधा राजनितिक सन्देश देता है। जिसमें उनके सजातीय कार्यकर्ताओं में सकारात्मक सन्देश जाएगा। इसी के तहत ही रणविजय सिंह का भी कद बढाया गया है।