इसके बाद उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा कि जब मस्जिद गिरी थी, तब और अब जब कुछ लोग वहां मंदिर बनाना चाहते हैं तो भी यही कानून है। कौन रोकने वाला है, या किसने रोका है? कौन मुसलमान आया रोकने के लिए? किसी ने भी नहीं रोका और न ही कोई रोकने जा रहा है। कहां विवाद है? यह कहना मुसलमानों को या रोकने वालेां को अंजाम भुगतना पड़ेगा तो सुप्रीम कोर्ट ने रोका है। तारीख तो सुप्रीम कोर्ट ने बदली है। तो क्या मंत्री जी ने जो कुछ कहा, वो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए तो नहीं कहा है? हमने या किसी और मुसलमान ने नहीं कहा है मंदिर निर्माण रोकने के लिए। अगर यह अदालत की अवमानना होती है तो अदालत को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। वहीं, साधू संतों की पहल वाले बयान पर उन्होंने कहा कि जो चाहें करें, किसने रोका है? 6 दिसम्बर को किस कानून ने रोका था, जो आज रोक रहें हैं? जो करना है सो करें!