बड़ी खबर: प्रशासन ने जारी की नई एडवाइजरी, 3 से ज्यादा बार तोड़ा ट्रैफिक नियम तो सस्पेंड हो जाएगा लाइसेंस बता दें कि हाल ही में अमेरिका में मलाला फंड में काम करने वाली टीम समाजसेविका रेहाना रहमान के सहयोग से रजिया, सोनम और तंजीम की पढ़ाई के लिए संघर्ष करने वाली एक लघु फिल्म बनाकर ले गई है। अब यह संस्था दुनियाभर में मुरादाबाद की तीनाें बेटियों को ब्रांड एम्बेसडर के रूप में स्थापित कर इनके संघर्ष की कहानी दिखा अन्य गरीब बेटियों को शिक्षा के लिए प्रेरित करेगी। बता दें कि मलाला फंड ने सोनम का एक वीडियो यू-ट्यूब पर भी शेयर किया है। सोनम का यह वीडियो अब गरीब बेटियों में शिक्षा की अलख जला रहा है। इस वीडियो में दर्शाया गया है कि गरीबी में भी संघर्ष कर किस तरह पढ़ाई को जारी रखा जा सकता है।
Exclusive Interview स्विंग के किंग प्रवीण कुमार का चौंकाने वाला खुलासा, कहा- इसलिए क्रिकेट से लिया संन्यास घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद संभाली अपनी और तीन बहनों की पढ़ाई की जिम्मेदारी
मुरादबाद जिले के रामगंगा खादर के छोटे से गांव अब्दुल्लापुर निवासी सोनम ने बताया कि उसके पिता पृथ्वीलाल घोड़ा-तांगा चलाते हैं। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण जब वह सातवीं कक्षा में थी तो पढ़ाई छूट गई थी, लेकिन उसने कभी हिम्मत नहीं हारी। इसके बाद सोनम ने किसानों के खेतों में मजदूरी कर अपने साथ अपनी तीन बहनों की पढ़ाई शुरू की। 2016 में उसने हाईस्कूल में 84 प्रतिशत अंकों के साथ तहसील में अपने गांव का नाम रोशन किया। अब वह 12वीं कक्षा में है। सोनम ने बताया कि स्कूल जाने के लिए भी उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। दरअसल, स्कूल आने-जाने के लिए उसे रामगंगा नदी पर बने छोटे से पुल को पार करना पड़ता है, जो बारिश के दौरान डूब जाता है। इसलिए उस दौरान उसे जान जोखिम में डालकर नाव से ही स्कूल जाना पड़ता है।
इस सपा संस्थापक ने किया बड़ा खुलासा, कहा- अखिलेश यादव की वजह से घुट-घुटकर जी रहे मुलायम सिंह यादव क्षेत्र की बेटियों के लिए मिसाल बनी रजिया इसी तरह कुंदरकी थाना क्षेत्र के रहमाननगर बांहपुर गांव की रहने वाली रजिया की कहानी है। रजिया के पिता नेत्रहीन हैं। रजिया कक्षा 9 की छात्रा हैं, लेकिन उनके भी परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। दो जून की रोटी के लिए परिजनों को काफी संघर्ष करना पड़ता है। यही वजह है कि पांचवी कक्षा मेंं ही उसकी पढ़ाई छूट गई थी। इसके बाद उसने भी सोनम की तरह खुुद मजदूरी कर अपनी पढ़ाई शुरू की। रजिया जोश, जज्बे और जुनून को देखते हुए इसी गांव की अन्य 10 बेटियों ने स्कूल में दाखिल लिया है। अपने गांव के साथ क्षेत्र की गरीब बेटियों के लिए रजिया एक मिसाल बन गई है।
भाजपा पार्षद के होटल में दरोगा की पिटाई के मामले में सामने आई असली वजह किताब खरीदने के लिए करनी पड़ी मजदूरी वहीं मजरा बांहपुर गांव की रहने वाली तंजीम की कहानी भी सोनम और रजिया की तरह ही है। मजररा बांहपुर निवासी मोमीन अहमद बेहद गरीब हैं। मोमीन बताते हैं कि तंजीम की पढ़ाई मदरसे में शुरू हुई थी, लेकिन उनके पास मदरसे की फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं थे। इसलिए उन्होंने तंजीम को पढ़ाई करने से रोक दिया। इसी बीच उनके पास समाजसेविका रेहाना रहमान पहुंचीं। उनकी मदद से उन्होंने तंजीम का दाखिला गांव के ही एक जूनियर हाईस्कूल में करा दिया। दाखिला होने के बाद स्कूल में फीस तो नहीं देनी पड़ी, लेकिन किताबें खरीदने के लिए भी उसके पास रुपये नहीं थे। इसके बाद तंजीम ने किताबों के लिए खुद संघर्ष किया और पढ़ाई जारी रखी। बता दें कि अब तंजीम हाईस्कूल की छात्रा हैं।