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एक रिपोर्ट की माने तो ऐसे फर्जी एड्स यूजर्स के साथ-साथ ऐप डेवेलपर्स के साथ भी धोखा कर रहे हैं। कई बार स्मार्टफोन में इंटरनेट के जरिए किसी साइट पर जाकर कुछ पढ़ने के दौरान पीछे से एड की आवाज़ आने लगती है। लेकिन यह आवाज़ कहा से आ रही है उसे ढूंढना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यूजर्स उस साइट को बीच में छोड़ देते हैं। ऐसा इस लिए होता है क्योंकि यह एड फ्रॉड इस तरह से काम करते हैं कि यह बैनर एड के पीछे छिपे हुए वीडियो को ऑटोप्ले करके यूजर्स को दिखाते हैं। इसकी वजह से फोन की बैटरी और मोबाइल डाटा जल्द ही खत्म हो जाता है। इतना ही नहीं कई बार तो यूजर्स को ऐसे एड्स नज़र भी नहीं आते हैं। यह भी पढ़ें