भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
कू (Koo) की सबसे खास बात यह है कि यह भारत में बना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। बाॅम्बीनेट टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड (Bombinate Technologies Pvt. Ltd.) कंपनी के इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की खोज कंपनी के डायरेक्टर अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिद्वतका हैं। कू की शुरुआत 14 नवंबर 2019 को हुई थी। इसका हेडक्वार्टर बैंगलोर शहर में है। कू का लोगो एक पीली चिड़िया है।
कू (Koo) की सबसे खास बात यह है कि यह भारत में बना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। बाॅम्बीनेट टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड (Bombinate Technologies Pvt. Ltd.) कंपनी के इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की खोज कंपनी के डायरेक्टर अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिद्वतका हैं। कू की शुरुआत 14 नवंबर 2019 को हुई थी। इसका हेडक्वार्टर बैंगलोर शहर में है। कू का लोगो एक पीली चिड़िया है।
दुनियाभर के लिए उपलब्ध हालांकि कू भारत में और खास तौर पर भारत के लोगों के लिए बना है पर यह दुनियाभर में इस्तेमाल करने के लिए उपलब्ध है। यह भी देखे – Video: स्वदेशी ऐप Koo को लेकर WhatsApp को सता रही ये चिंता
1 करोड़ से ज़्यादा यूज़र्स वर्तमान में कू पर दुनियाभर में मिलाकर 1 करोड़ से भी ज़्यादा यूज़र्स हैं। भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं का भी इस्तेमाल ग्लोबल प्लेटफॉर्म होने के कारण कू पर इंग्लिश का ऑप्शन तो है ही, पर इसके साथ ही इसमें हिन्दी का ऑप्शन भी है। पर खास बात यह है कि इस प्लेटफॉर्म पर भारत की क्षेत्रीय भाषाओं का भी ऑप्शन मिलता है। वर्तमान में इस प्लेटफॉर्म पर कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बांग्ला, मराठी, गुजराती और असमिया भाषा के ऑप्शन्स हैं। जल्द ही इसपर पंजाबी, मलयालम और उड़िया भाषा के ऑप्शन्स भी जुड़ेंगे। भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं के ऑप्शन्स होने से कू इन भाषाओं में बातचीत का एक प्लेटफॉर्म बन गया है। कू के 1 करोड़ यूज़र्स में से करीब 50% यानि कि 50 लाख यूज़र्स हिन्दी में बातचीत करते हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं के होने से लोगों को एक एक नया सोशल मीडिया एक्सपीरियंस मिलता है। इस ऑप्शन से लोग खुलकर अपनी भाषा में बातचीत कर सकते हैं।
कू के एक प्रवक्ता ने बताया की ज़्यादातर भारतीय लोग देशी भाषाओं में बातचीत करते हैं। इस वजह से वो सोशल मीडिया की चर्चा से बाहर हो जाते हैं, जो कि ज़्यादातर इंग्लिश में होती है। ऐसे में कू पर भारतीय जो अपनी मातृभाषा बोलने में सहज हैं, खुलकर अपनी पसंदीदा भाषा में बातचीत कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, “कू ने एक ऐसी जगह बनाई है जहां अपनी मातृभाषा बोलने में सहज हिंदुस्तानी अपने ख़्याल और विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकते हैं। प्लेटफॉर्म यूजर्स को उनकी पसंदीदा भाषा में कू करने में सक्षम बनाता है और आश्वस्त रहता है कि उनके समुदाय का एक बड़ा हिस्सा बिना उसे एक्स्पेल किए संदर्भ को समझ जाए। कू लोगों और समुदायों को एकजुट करने वाले कारक के रूप में भाषा का इस्तेमाल करके एक साथ लाना चाहता है।”
कू के एक प्रवक्ता ने बताया की ज़्यादातर भारतीय लोग देशी भाषाओं में बातचीत करते हैं। इस वजह से वो सोशल मीडिया की चर्चा से बाहर हो जाते हैं, जो कि ज़्यादातर इंग्लिश में होती है। ऐसे में कू पर भारतीय जो अपनी मातृभाषा बोलने में सहज हैं, खुलकर अपनी पसंदीदा भाषा में बातचीत कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, “कू ने एक ऐसी जगह बनाई है जहां अपनी मातृभाषा बोलने में सहज हिंदुस्तानी अपने ख़्याल और विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकते हैं। प्लेटफॉर्म यूजर्स को उनकी पसंदीदा भाषा में कू करने में सक्षम बनाता है और आश्वस्त रहता है कि उनके समुदाय का एक बड़ा हिस्सा बिना उसे एक्स्पेल किए संदर्भ को समझ जाए। कू लोगों और समुदायों को एकजुट करने वाले कारक के रूप में भाषा का इस्तेमाल करके एक साथ लाना चाहता है।”
हिन्दी भाषा का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल कू पर हिंदी सबसे ज़्यादा चलने वाली भाषा है। सामाजिक मुद्दों, राजनीतिक विचारों, बॉलीवुड से जुड़ी गॉसिप, खेल के बारे में खबरें, करंट अफेयर्स, त्यौहारों, उत्सवों और नेताओं के बयानों पर हिन्दी में चर्चा होती है। एक रिसर्च के आधार पर कू पर हिन्दी पोस्ट की संख्या औसत रूप से किसी भी अन्य सोशल मीडिया या माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर हिन्दी पोस्ट की संख्या से लगभग दोगुनी है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री और दूसरे नेता पोस्ट करने के लिए सिर्फ हिन्दी का ही इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी पोस्ट पर चर्चा भी हिन्दी में ही होती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केवल हिन्दी में पोस्ट करते हैं। इसके साथ ही पिछले 4 महीनों में कू पर हिन्दी यूज़र्स 80% बढ़े हैं। रिसर्च के अनुसार आने वाले 5-6 सालों में भारत में इंटरनेट यूज़र्स अरबों में पहुंच सकते हैं और इंग्लिश यूज़र्स के मुकाबले भारतीय भाषाओं के यूज़र्स भी इन्टरनेट पर तेज़ी से बढ़ सकते हैं।
यह भी देखे – Video: जानिए देसी ट्विटर Koo App के फीचर्स के बारे में ट्विटर का भारतीय ऑप्शन कू का इंटरफेस ट्विटर की तरह ही है। साथ ही इनके लोगों में भी यह समानता है कि दोनों ही चिड़ियां हैं। हालांकि कू की चिड़िया पीली और ट्विटर की चिड़िया नीली है।
उपलब्धता कू एंड्रॉयड, आईओएस और वेब प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। कई नेता और सेलिब्रिटी भी कू से जुड़ रहे हैं कू के भारत में बढ़ते यूज़र्स को देखते हुए कई नेता और सेलिब्रिटी भी अब कू से जुड़ रहे हैं। उनके ऐसा करने से कू का भी प्रमोशन होता है, जिससे कई नए यूज़र्स इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़ते हैं। कू पर नेता अपनी राजनीतिक राय शेयर कर सकते हैं, वहीं सेलिब्रिटी अपने फैन्स के साथ अपने अपडेट शेयर कर सकते हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने कू पर अपना आधिकारिक खाता बनाया है। इसके बाद राजद के तेज प्रताप यादव भी कू से जुड़ गए है। इसी तरह बॉलीवुड अभिनेता टाइगर श्रॉफ, कृति सैनॉन और श्रद्धा कपूर बॉलीवुड के उन सितारों में शामिल हैं जिन्होंने हाल ही में कू पर आधिकारिक खाते बनाए हैं।
आने वाले समय में कू की लोकप्रियता कू के धीरे-धीरे बढ़ते इस्तेमाल से आने वाले समय में भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में कू की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ सकती है। यह भी देखे – Video: विवादों के बीच भी Koo की पॉपुलैरिटी, बना टॉप फ्री ऐप