इसमें कहा गया है कि यह जानकारी चुराता है और फिर अपने सिस्टम पर डेटा एन्क्रिप्ट करता है। एक बार यह हो जाने के बाद मैलवेयर दोहरी जबरन वसूली करता है, इस प्रकार पीडि़त को फिरौती की रकम देने के लिए मजबूर करता है। सलाहकार ने कहा, यदि पीडि़त भुगतान नहीं करता है, तो वे अपने पीडि़त का डेटा अपने डार्क वेब ब्लॉग पर जारी कर देते हैं।
सीईआरटी-इन ने सुझाव दिया कि इंटरनेट यूजर्स को ऐसे हमलों से खुद को बचाने के लिए बुनियादी ऑनलाइन स्वच्छता और सुरक्षा प्रोटोकॉल का उपयोग करना चाहिए। इसने यह भी सिफारिश की कि उपयोगकर्ताओं को महत्वपूर्ण डेटा का ऑफलाइन बैकअप बनाए रखना चाहिए और उन्हें अपडेट रखना चाहिए, ताकि किसी हमले की स्थिति में इसके नुकसान को रोका जा सके। प्रौद्योगिकी शाखा ने यह भी सलाह दी कि उपयोगकर्ताओं को एक मजबूत पासवर्ड नीति का पालन करना चाहिए।
-आईएएनएस