WFP को नोबल का शांति पुरस्कार नोबल कमिटी ने इस बार WFP को शांति का नोबल पुरस्कार देने का फैसला किया। बताया जा रहा है कि विश्व खाद्य क्रार्यक्रम को युद्धग्रस्त एरिया में शांति के लिए हालत को बेहतर करने, भूख से लड़ने, जंग और विवाद के दौरान भूख को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जाने से रोकने में अहम भूमिका निभाने के लिए नोबल का शांति पुरस्कार देने का फैसला किया है। कोरोना महामारी के आने से इस संगठन ने अपनी कोशिशें और तेज कर दी। संगठन का कहना है कि जब तक इस महामारी को लेकर कोई वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक खाना ही इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है। गौरतलब है कि इस महामारी के कारण काफी संख्या में लोगों की मौत हुई है। लिहाजा, इस संगठन ने इस महामारी के खिलाफ अभियान और तेज कर दी। वहीं, साल 2019 में विश्व खाद्य कार्यक्रम ने 88 देशों के 10 करोड़ लोगों को सहायता पहुंचाने का काम किया।
पिछले साल इथोपिया के प्रधानमंत्री को मिला था यह सम्मान वहीं, बात अगर भारत की जाए तो यह संगठन भारत सरकार को तकनीकी सहायत और क्षमता निर्माण सेवाएं प्रदान करता है। यहां पर संगठन सीधे तौर पर खाद्य सहायत नहीं देता है। संगठन का उद्देश्य है कि देश के सामाजिक सुरक्षा कवच को इतना मजबूत किया जाए कि वह अपने लक्ष्य तक भोजन को अधिक असरदार तरीके से पहुंचा सके। यहां आपको बता दें कि साल 2019 में इथोपिया के प्रधानमंत्री अब अहमद अली को नोबल का शांति पुरस्कार दिया गया था। अब अहमद अली को इथोपिया का नेल्सन मंडेला भी कहा जाता है।