यह देखकर डॉक्टर्स हैरान हो गए। वे समझ नहीं पा रहे थे कि बच्ची को कैसे बचाया जाए। बताते चलें कि ये एक प्रीमैच्यूर डिलीवरी थी। साथ ही बच्ची का जन्म नॉर्मल नहीं बल्कि सिज़ेरियन विधि से किया गया था। बच्चे का जन्म जिस परिस्थिति में किया गया वो वाकई में काफी कठिन था। डॉक्टरों का कहना है कि यह काफी रेयर सिचुएशन था, जिसे सुलझाने के लिए डॉक्टरों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। डॉक्टरों के शब्दों में इस तरह के कंडीशन को एक्टोपिया कॉर्डिस कहा जाता हैं। एक्टोपिया कॉर्डिस में बच्चे का दिल उसके शरीर से बड़ा होता है। इसमें अक्सर बच्चे को बचाना काफी मुश्किल होता है। लेकिन ये किसी चमत्कार से कम नहीं है कि इस बार डॉक्टरों की टीम सफल रही।
पहले डॉक्टरों ने स्कैन करके देखा था कि बच्ची का दिल और पेट दोनों ही शरीर के बाहर डेवलप हो रहा है। बाद में पेट तो सही हो गया लेकिन दिल बाहर ही रह गया। कार्डियोलॉजिस्ट का कहना था कि इस केस में ऐसा पहली बार हुआ जब बच्चे को बचाया जा सका। इस ऑपरेशन के लिए करीब 12 डॉक्टर्स, नर्स और क्लीनिंग स्टाफ ने एक साथ मिलकर काम किया। डॉक्टरो ने ये भी कहा कि यह ऑपरेशन काफी जोखिम भरा था। इस बारे में उन्होनें बच्ची के माता-पिता को भी बताया। लेकिन वो बिना डरे ये रिस्क लिया और सफल रहे।