उधर बांग्लादेश के पर्यावरण अधिकारी शेख रोकों ने भी चीन के इस कदम पर चिंता जाहिर की है। ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर भारत की आपत्ति इसलिए है कि नदी दक्षिण-पश्चिम चीन से होकर तिब्बत, भारत व बांग्लादेश में होकर गुजरती है। यानी इस पर चीन के अलावा भारत और बांग्लादेश का क्षेत्र भी आता है। दोनों देशों के बीच नदी जल बंटवारे को लेकर कोई स्पष्ट समझौता नहीं है। बांग्लादेश पहले ही बांध को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुका है।
बांध से होगा जैव विविधता को खतरा
इस परियोजना से भारत-बांग्लादेश के बीच संबंध भी प्रभावित होंगे, क्योंकि ऊपरी क्षेत्र होने के कारण भारत अपनी जरूरतों के अलावा बांग्लादेश के साथ पानी साझा करता है। बांध से नदी के पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को खतरा होगा। यह नदी अरुणाचल प्रदेश और असम से होकर गुजरती है। ऐसे में यहां के लोगों की आजीविका ही नहीं जीवन और संस्कृति भी इससे जुड़ी हुई है।
इस परियोजना से भारत-बांग्लादेश के बीच संबंध भी प्रभावित होंगे, क्योंकि ऊपरी क्षेत्र होने के कारण भारत अपनी जरूरतों के अलावा बांग्लादेश के साथ पानी साझा करता है। बांध से नदी के पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को खतरा होगा। यह नदी अरुणाचल प्रदेश और असम से होकर गुजरती है। ऐसे में यहां के लोगों की आजीविका ही नहीं जीवन और संस्कृति भी इससे जुड़ी हुई है।