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विश्व स्वास्थ्य संगठन का ऐतिहासिक ऐलान, ट्रांसजेंडर होना नहीं मानी जाएगी शारीरिक कमी

ट्रांसजेंडर मानसिक विकार की स्थिति नहीं है
इससे उन्हें बराबरी का दर्जा मिलेगा
स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में खुलकर बोलने की अनुमति होगी

May 31, 2019 / 02:54 pm

Mohit Saxena

डब्लूएचओ का फैसला: ट्रांसजेंडर होना कोई शारीरिक विकार नहीं

नई दिल्ली। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने ट्रांसजेंडर को दिमागी बीमारी न मानते हुए इसे एक अलग जेंडर में रूप मान्यता दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक विशेषज्ञ ने कहा कि अब तक हम यह समझते हैं कि ट्रांसजेंडर वास्तव में मानसिक विकार की स्थिति नहीं है। मगर नवीनतम अध्ययन में आईसीडी-11 के तहत कहा गया है कि ट्रांसजेंडर को एक अलग जेंडर को परिभाषित किया जाए। बीते अध्ययन में आईसीडी-10 में यह मानसिक और व्यवहार संबंधी विकारों के अध्याय में एक विकार माना जाता था।

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कलंक को मिटाने की दिशा में बड़ा कदम

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कई डॉक्टरों और अधिवक्ताओं का मानना है कि ट्रांसजेंडर लोगों के आसपास के कलंक को हटाने की दिशा में यह बड़ा कदम है। उनके स्वास्थ्य के मुद्दों को अब डब्ल्यूएचओ के निदान के वैश्विक मैनुअल में मानसिक और व्यवहार संबंधी विकारों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, ट्रांसजेंडर जल्द ही यौन स्वास्थ्य पर एक अध्याय के तहत होंगे। डायग्नोस्टिक मैनुअल में परिवर्तन पहली बार 2018 में घोषित किया गया था और शनिवार को डब्ल्यूएचओ विधानसभा में अनुमोदित किया गया था। यह मानसिक स्वास्थ्य विकारों से निकाला गया था क्योंकि हमें बेहतर समझ थी कि यह वास्तव में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति नहीं थी और इसे छोड़ने से कलंक पैदा हो रहा था। एक WHO प्रजनन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ ले से ने कहा कि यह कदम चिकित्सा देखभाल तक बेहतर पहुंच बनाने और ट्रांसजेंडर लोगों को उनके स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में खुलकर बोलने की अनुमति देने के लिए था। ह्यूमन राइट्स वॉच ने अनुमान लगाया कि परिवर्तन का दुनिया भर में प्रभाव होगा।

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