डेल्टा प्लस वेरिएंट की पूरी कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करेंः https://rb.gy/wogtfr दरअसल, पिछले शुक्रवार को जेनेवा में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान डब्लूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस ने कोरोना के डेल्टा वेरिएंट को लेकर चेतावनी जारी की। उऩ्होंने कहा, “मैं जानता हूं कि वैश्विक स्तर पर डेल्टा वेरिएंट को लेकर काफी चिंता है और डब्लूएचओ भी इस बारे में चिंतित है।”
सबसे पहले भारत में पाए गए डेल्टा वेरिएंट को लेकर उन्होंने कहा, “अब तक पहचाने गए वेरिएंट्स में से डेल्टा सबसे ज्यादा फैलने वाला है और कम से कम 85 देशों में इसकी पहचान की गई है और ये बेहद तेजी से उस आबादी तक पहुंच रहा है जिनके वैक्सीन नहीं लगी।”
उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि जिस प्रकार कई देशों में सामाजिक उपायों और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में ढील दे दी गई है, “हम दुनियाभर में संक्रमण के तेजी से फैलने की शुरुआत देख रहे हैं। ज्यादा मामलों का मतलब है अस्पताल में मरीजों का ज्यादा भर्ती होना और इससे फिर स्वास्थ्य तंत्र और स्वास्थ्य कर्मियों पर दबाव पड़ेगा, जिससे जान का जोखिम बढ़ेगा।”
कोरोना वैक्सीन के बाद कुछ साइड इफेक्ट क्या होते हैं, जानने के लिए क्लिक करेंः https://rb.gy/oizkpf उन्होंने आगे कहा कि कोरोना के नए वेरिएंट की आशंका थी और इनका आना जारी रहेगा, “क्योंकि वायरस ऐसा ही करते हैं, वे बेहतर होते जाते हैं- लेकिन हम इन्हें फैलने से रोककर इनके सामने आने को रोक सकते हैं।”
वहीं, डब्लूएचओ में कोविड-19 की तकनीकी प्रमुख मारिया वैन केरखोव ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि डेल्टा वेरिएंट काफी खतरनाक वायरस है और अल्फा वेरिएंट से ज्यादा तेजी से फैलता है। जगह-जगह पर गतिविधियां तेज हो गई हैं और डेल्टा वेरिएंट उन लोगों में तेजी से फैल रहा है, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे में कोरोना वैक्सीन काफी कारगर हैं और यह बीमारी को गंभीर होने के साथ मौत से बचाव करती हैं, साथ ही डेल्टा वेरिएंट से भी।
अब अगर ताजा विरोधाभास की बात करें तो डब्लूएचओ की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट फिलहाल डब्लूएचओ के लिए ‘चिंताजनक वेरिएंट’ नहीं है और इससे संक्रमित होने वालों की संख्या अभी कम है।
कोरोना वैक्सीनेशन से जुड़े 7 जरूरी सवालो के जवाब जानने के लिए क्लिक करेंः https://rb.gy/nwcsg6 उन्होंने आगे कहा यह समझना काफी महत्वपूर्ण है कि हमें हर नए म्यूटेशन-वेरिएंट पर चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि किसी भी वायरस के विकासक्रम में यह अवश्यंभावी होता है।
हालांकि उन्होंने कहा कि डेल्टा प्लस यानी AY1 को लेकर डब्लूएचओ इसलिए चिंतित नहीं है क्योंकि यह वैश्विक आंकड़े जुटाता है, ना कि किसी एक या दो देश के। हो सकता है कोई वेरिएंट किसी एक देश के लिए ज्यादा खतरा हो और दूसरे के लिए नहीं, लेकिन फिलहाल डब्लूएचओ के लिए यह चिंता का विषय नहीं है।