उन्होंने उसे ज़बरदस्ती भेड़िए के बाड़े में डाल दिया लेकिन आगे जो हुआ उसने हर किसी को हैरान कर दिया। उस भूखे भेड़िए ने उस खच्चर पर हमला नहीं किया बल्कि इन दोनों में दोस्ती हो गई और वे दोनों एक-दूसरे से लिपटे दिखे। गांववाले भी इन दोनों के बीच हुई दोस्ती को देखकर हैरान हो गए थे। वे सोच रहे थे कि एक भूखे भेड़िए ने क्यों उस गधे को नहीं खाया? दोनों के बीच हुई इस असाधारण दोस्ती की खबर जल्दी ही सब जगह फैल गई। अल्बेनियन सरकार को याचिकाएं और विरोध-पत्र भेजे गए। जनता के बीच बहुत झुंझलाहट थी जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने गधे को छोड़ देने और उस भेड़िए को भी मुक्त करने का आदेश दिया गया।
आदेश के बाद उस भेड़िए को जंगल में छोड़ दिया गया और उस खच्चर को चारागाह में रखा गया। वह भेड़िया इतना बुद्धिमान था कि वह कभी-कभी अपने दोस्त से मिलने उस चारागाह में आया करता था। इस घटना से हमें यह पता चलता है कि कैसे छोटी-छोटी चीज़ों से एक बड़ा अंतर लाया जा सकता है। एक याचिका पर हस्ताक्षर करने या किसी घटना के विरोध में एक पत्र लिखने से भी बड़ा अंतर आ सकता है। अगर दूसरे लोग आपसे कहते हैं कि ये चीजें समय की बर्बादी हैं और उनका किसी पर कोई प्रभाव नहीं होता है तो उन्हें गधे और भेड़िये की यह कहानी जरूर बताएं। आपको पता भी नहीं होगा कि आपके छोटे से कदम से किसी का जीवन सुधार जाए।