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US-Iran Tension: ईरान-अमरीका में गहराते संकट के बीच भारत के लिए बढ़ सकती है चुनौतियां

अमरीका ने ईरानी सैन्य अधिकारी कासिम सुलेमानी ( Irans Gen Qassem Soleimani ) को मार गिराया
ईरानी समर्थकों ने बगदाद स्थित अमरीकी दूतावास पर हमला किया था

Jan 04, 2020 / 08:15 am

Anil Kumar

नई दिल्ली। ईरान और अमरीका ( Iran-America ) के बीच बीते साल काफी तनाव भरा रहा और अब नए साल की शुरुआत में दोनों देशों के बीच फिर से तनाव चरम पर पहुंच गया है।

दरअसल, नए साल की शुरुआत में ही बगदाद में ईरान समर्थकों ने अमरीकी दूतावास ( American Embassy ) पर हमला बोल दिया। इससे बौखलाए अमरीका ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए ईरानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी जनरल कासिम सुलेमानी ( Irans Gen Qassem Soleimani ) को बगदाद एयरपोर्ट पर बड़ी कार्रवाई करते हुए मार गिराया।

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अब इसे लेकर दोनों देशों के बीच माहौल खराब हो गया है। ईरान ने अमरीका का सीधी धमकी दी है कि इसका खामियाजा बहुत जल्द भुगतना पड़ेगा। अब इसके बाद से अतंर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर अस्थिरता आएगी।

माना जा रहा है कि भारत पर भी इसका असर पड़ेगा। लिहाजा ईरान-अमरीका ( US-Iran-Iraq tension ) के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारत भी बेहद करीब से हालात पर नजर बनाए हुए है।

भारत के लिए बढ़ सकती है मुश्किलें

आर्थिक मोर्चे पर मौजूदा समय में भारत को थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यदि अमरीका और ईरान के बीच युद्ध जैसे स्थिति बनती है तो भारत को कई मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि दोनों देशों के साथ भारत के आर्थिक और सामरिक रिश्ते हैं।

अमरीका लगातार भारत पर यह दबाव बनाने की कोशिश में है कि वह ईरान से दूर रहे। लेकिन भारत की कूटनीतिक सफलता ही रही है कि दोनों देशों के साथ संबंध बरकरार है। यही कारण है कि ईरान पर कई प्रतिबंध लगाने के बाद भी अमरीका ने ईरान के चाबहार पोर्ट को लेकर भारत को छूट देने के लिए तैयार था। हालांकि अमरीकी प्रतिबंधों के बाद भारत ने ईरान से तेल खरीदना पूरी तरह बंद कर दिया है।

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इससे पहले चीन के बाद ईरान से तेल मंगाने वाला दूसरा सबसे बड़ा आयातक था। संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निक्की हेली ने 2018 में भारत दौरा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि भारत को निश्चित रूप से ईरानी तेल पर अपनी निर्भरता घटानी चाहिए और अंततः आयात बंद कर देना चाहिए। बता दें कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है।

चाबहार परियोजना पर पड़ सकता है असर

भारत चाबहार पोर्ट ( Chabahar Port ) के जरिए मध्य एशिया के तमाम देशों के साथ कारोबारी रिश्ते बढ़ाने की चाहत रखता है और इसके लिए ईरान व रूस के बीच पहले से ही एक योजना पर काम कर रहा है। इसके अलावा पिछले महीने ही चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान तक रेल व सड़क मार्ग बनाने की परियोजना पर बातचीत हुई है।

बता दें कि भारत के लिए ईरान की अहमियत बहुत है। इसमें सबसे बड़ा कारण है अफगानिस्तान की स्थिरता में भारत की भूमिका पर पाकिस्तान के प्रभाव को रोकने के लिए ईरान की जरूरत रहेगी।

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ऐसे में यदि अमरीका और ईरान के बीच युद्ध होते हैं या फिर तनाव गहराता है तो अमरीका भारत पर ईरान से दूर रहने के लिए दाबव बनाएगा, क्योंकि भारत-अमरीका के बीच भी कई आर्थिक और सामरिक समझौते हुए हैं। लिहाज भारत के लिए आने वाले दिनों में चुनौतियां बढ़ सकती है।

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