उल्लेखनीय है कि यह प्रस्ताव तालिबान द्वारा 27 अगस्त 2021 को दिए गए एक बयान के संदर्भ में है जिसमें तालिबान के आंतकियों ने कहा था कि अफगान नागरिक विदेश यात्रा कर सकते हैं और वे जब भी चाहें, जमीनी अथवा हवाई रास्ते से सीमा पार कर अफगानिस्तान के बाहर जा सकते हैं। प्रस्ताव में तालिबान को देश के नागरिकों तक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य एजेंसियों के लिए एक “पूर्ण, सुरक्षित और निर्बाध पहुंच” देने की भी बात की गई है।
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प्रस्ताव में अफगानिस्तान में मौजूद महिलाओं, बच्चों तथा अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की रक्षा करने की अपील करते हुए बातचीत के द्वारा समस्याओं के राजनीतिक समाधान की भी बात कही गई है। इसके साथ ही कहा गया है कि तालिबान को अफगानिस्तान की जमीन को किसी भी अन्य देश को धमकाने, हमला करने अथवा आतंकियों को ट्रेनिंग या शरण देने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। प्रस्ताव में “सुरक्षित क्षेत्र” का नहीं है उल्लेख
सुरक्षा परिषद में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन द्वारा प्रस्तावित “सुरक्षित क्षेत्र” का उल्लेख नहीं किया गया है। आपको बता दें कि मैक्रॉन ने कहा था कि वह एक मसौदे के प्रस्ताव पेश करेंगे जिसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के नियंत्रण में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक “सुरक्षित क्षेत्र” को परिभाषित करना होगा ताकि वहां पर मानवीय राहत कार्य सुचारू रूप से जारी रखें जा सकें।
सुरक्षा परिषद में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन द्वारा प्रस्तावित “सुरक्षित क्षेत्र” का उल्लेख नहीं किया गया है। आपको बता दें कि मैक्रॉन ने कहा था कि वह एक मसौदे के प्रस्ताव पेश करेंगे जिसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के नियंत्रण में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक “सुरक्षित क्षेत्र” को परिभाषित करना होगा ताकि वहां पर मानवीय राहत कार्य सुचारू रूप से जारी रखें जा सकें।
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चीन ने कहा, प्रस्ताव में हमारे संशोधन को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया गयामीटिंग के दौरान चीन और रूस दोनों देश अनुपस्थित रहे परन्तु चीन के प्रतिनिधि ने एक बयान देते हुए कहा कि दुर्भाग्यवश हमारे द्वारा प्रस्तावित संशोधन को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया है। चीन ने सदैव किसी भी एकतरफा प्रस्ताव को जबरदस्ती लागू करने या थोपने का विरोध किया है। चीन के प्रतिनिधि ने यह भी कहा कि हमें इस प्रस्ताव को अपनाने की आवश्यकता और उपयोग के संबंध में संदेह है फिर भी हमने मीटिंग में भाग लेते हुए जरूरी संशोधनों को सभी देशों के सामने रखा।
चीन ने अमरीका पर भी आरोप लगाया
चीन के प्रतिनिधि ने बिना नाम लिए हुए कहा कि उन्होंने पिछले बीस वर्षों में जो कुछ भी किया है, उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और शांति बहान करने के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए।
चीन के प्रतिनिधि ने बिना नाम लिए हुए कहा कि उन्होंने पिछले बीस वर्षों में जो कुछ भी किया है, उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और शांति बहान करने के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए।