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BRI के बहाने भारत को घेरने की कोशिश, पाकिस्तान के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहा है चीन

पाकिस्तान के साथ मिलकर कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है चीन।
दक्षिण एशियाई देशों में वर्चस्व स्थापित करने के लिए प्रयासरत है चीन।
चीन के कई परियोजनाओं पर भारत ने जताई है आपत्ति।

Apr 29, 2019 / 11:54 am

Anil Kumar

BRI के बहाने भारत को घेरने की कोशिश, पाकिस्तान के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहा है चीन

नई दिल्ली। एशिया में भारत के बढ़ते प्रभाव को कम करने और दुनिया में एक नई महाशक्ति के तौर पर खुद को स्थापित करने के लिए चीन हर उस योजना पर काम कर रहा, जिससे की उसे यह लक्ष्य हासिल करने में कोई परेशानी न हो। इसके लिए चीन जल, थल और नभ में हर तर का प्रयास कर रहा है। इसी में से कुछ परियोजनाएं हैं- वन बेल्ट, वन रोड ( OBOR ), बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव ( BRI ), चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर ( CPEC ) आदि। इन परियोजना के माध्यम से चीन भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए पड़ोसी देशों ( पाकिस्तान ? , श्रीलंका , बांग्लादेश , फिलींपिंस , थाइलैंड , मालदीव , म्यांमार आदि) के साथ तरह-तरह के समझौता कर रहा है। वैसे पाकिस्तान के लिए भारत हमेशा से एक शत्रु रहा है और चीन इसका फायदा उठाते हुए बाकी अन्य पड़ोसी देशों के बजाए पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रखकर भारत को घेर रहा है।

 

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बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव ( BRI )

चीन की एक महत्वकांक्षी परियोजना है बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव। चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव ( BRI ) में 152 देशों और यूरोप, एशिया, मध्य पूर्व, लैटिन अमरीका और अफ्रीका के अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में बुनियादी ढांचे के विकास और निवेश को शामिल किया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कहना है कि यह परियोजना केवल चीन के हितों को पूरा करने के लिए नहीं है। हालांकि भारत ने लगातार इसका विरोध किया है। BRI की पहली बैठक में भारत शामिल नहीं हुआ था और अब बीजिंग में संपन्न हुए दूसरी समिट से भी भारत ने दूरी बनाई। इस परियोजना में पाकिस्तान को खासा महत्व दिया गया है, क्योंकि इस परियोजना के तहत जो कोरिडोर बन रहा है वह पीओके से होकर गुजर रहा है। भारत इसका बड़ा विरोध जता चुका है।

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चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर ( CPEC )

पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन एक कोरिडोर का निर्माण कर रहा है। इस परियोजना का मकसद है दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान से चीन के उत्तर-पश्चिमी स्वायत्त क्षेत्र शिंजियांग को जोड़ना। इससे ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस की कम समय में वितरण करना आसान हो जाएगा। यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान होते हुए गुजरेगा। जिसको लेकर भारत ने आपत्ति दर्ज कराई है। भारत ने इस कोरिडोर के निर्माण को अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार अवैध माना है। भारत ने कहा है कि यह पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है, जो कि हिन्दुस्तान का अभिन्न हिस्सा है। हालांकि चीन पाकिस्तान को लगातार आर्थिक मदद करते हुए इस परियोजना पर लगातार आगे बढ़ रहा है।

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वन बेल्ट, वन रोड परियोजना

OBOR चीन का महत्वकांक्षी परियोजना है। इस परियोजना के पूरा होने के साथ ही चीन रेल, सड़क और समुद्री मार्ग से एशिया, यूरोप, अफ्रीका के 70 देशों के साथ सीधा जुड़ जाएगा और भारत चारों तरफ से घिर जाएगा। OBOR परियोजना पर चीन 900 अरब डॉलर यानी करीब 64 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। भारत को घेरने के लिए चीन हिन्द महासागर के देशों में बंदरगाह, नौसेना बेस और निगरानी पोस्ट बनाना चाहता है। चीन ने इसे स्ट्रिंग ऑफ पल्स नाम दिया है। इसी परियोजना के तहत चीन श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश में पोर्ट बना रहा है। इन सभी परियोजनाओं के पूरा होने के साथ ही बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चीन का प्रभाव बढ़ जाएगा। भारत से संपर्क काटने के लिए पड़ोसी देशों को चीन OBOR के तहत श्रीलंका, म्यांमार, फिलीपींस, पाकिस्तान, थाईलैंड, बांग्लादेश और म्यांमार को बड़े-बड़े लोन दे रहा है और ये सभी देश इस तरह के उसका कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में धीरे-धीरे चीनी कंपनियां इन देशों में आर्थिक रूप से कब्जा कर रही हैं।

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आतंक पर पाकिस्तान के साथ चीन

आतंकवाद के मुद्दे पर भी चीन लगातार पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा है, जबकि भारत विश्व स्तर पर हमेशा पाकिस्तान को बेनकाब किया है। आतंक के मामले पर चीन दौहरा चरित्र अपनाता रहा है। पाकिस्तान की धरती पर मौजूद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बचा चुका है। अभी हाल ही अमरीका, फ्रांस, रूस की और से मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव दिया गया था लेकिन चीन ने वीटो इस्तेमाल करते हुए उसे बचा लिया। इस तरह से चीन चार बार ऐसा कर चुका है।

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सैन्य क्षमता बढ़ाने में पाक की मदद

पाकिस्तान के जरिए भारत को कमजोर करने के लिए चीन पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को भी बढ़ाने में मदद कर रहा है। पाकिस्तान की सेना चीन में प्रशिक्षण प्राप्त करती है। साथ ही पाकिस्तान को परमाणु हथियार, युद्धपोत, विमान और मिसाइल जैसे सैन्य उपकरणों को बनाने में भी चीन मदद करता है। चीन ने 2000-14 के बीच कुल हथियारों की बिक्री का 42 प्रतिशत हिस्सा केवल पाकिस्तान के निर्यात किया है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान पहला देश है जो चीन के बाइदू सैटेलाइट नेविगेशन से जुड़ा है। यह सैटेलाइट नेविगेशन अमरीका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस की तरह काम करता है।

 

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