गुजरात में 25 फरवरी को ‘हाउडी मोदी’ की तर्ज पर होगा ‘केम छो ट्रंप’, तैयारियां जोरों पर GSP ने अटकाया रोड़ा बड़ी डील पर फिलहाल सहमति न बनने के पीछे जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफ्रेंसेज (GSP) है। ये एक अमरीकी व्यापार कार्यक्रम है, जिसकी शुरुआत 1976 को हुई थी। GSP स्कीम के तहत अमरीका विकासशील देशों के उत्पादों को अपने यहां ड्यूटी फ्री एंट्री देता है। इसका मतलब है कि अमरीकी तरजीह वाले देशों से एक तय राशि के आयात पर शुल्क नहीं लेता है। भारत को GSP का सबसे ज्यादा फायदा मिलता रहा है, लेकिन बीते साल ट्रंप ने भारत को GSP की सूची से बाहर कर दिया। उनकी दलील थी कि भारत ने अमरीका के कई समानों पर ज्यादा टैक्स लगा दिए थे, जिससे उनके व्यापार पर असर पड़ रहा था।
अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बदला सुर, बोले- ज्यादा संख्या में आएं प्रवासी भारत ने ट्रंप की यात्रा के दौरान सीमित व्यापार सौदे के लिए अपने पोल्ट्री और डेयरी बाजारों को आंशिक रूप से खोलने की पेशकश की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार ने अमरीकी चिकन लेग्स, टर्की के आयात,ब्लूबेरी और चेरी के उत्पादन की अनुमति देने की पेशकश की है। सूत्रों के मुताबिक चिकन लेग्स पर शुल्क में 100% से 25% तक कटौती करने की पेशकश की है। अमरीकी वार्ताकार के अनुसार टैरिफ में 10% की कटौती हो। मोदी सरकार भारत के डेयरी बाजार में भी कुछ हद तक अमरीका को आने दी है लेकिन सिर्फ 5 प्रतिशत टैरिफ के साथ।
डील पर ट्रंप का क्या कहना है ट्रंप ने गुरुवार को कोलराडो में ‘कीप अमेरिका ग्रेट’ रैली में कहा कि वह अगले हफ्ते भारत जा रहा हैं और वह व्यापार पर बात करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की नीतियों ने उन्हें कई सालों से बुरी तरह प्रभावित किया है। ट्रंप ने अपने हजारों समर्थकों के सामने कहा कि वह ‘वास्तव में’ मोदी को ‘पसंद’ करते हैं और वे उनसे व्यापार पर बातचीत करेंगे। ये उन्हें बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। वो शुल्क लगाते हैं और भारत में ये दुनिया की सबसे अधिक दरों में से एक है।