अप्रेल 1984 में चेर्नोबिल परमाणु त्रासदी के बाद विकिरण का स्तर भले ही कम हुआ है, लेकिन विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि इस जगह की तस्वीरें ही कम से कम एक दशक बाद आ सकी थी। इसके बाद ही पिपरियात के तहखाने में इस पिघले हुए द्रव्यमान की तस्वीरें सामने आई थीं। विशेषज्ञों के मुताबिक 1986 में इस हाथी पैर के विकिरण का स्तर 10 हजार रेंटजेन प्रति घंटे मापा गया था, जो 300 सेकंड तक तीन फीट के दायरे में खड़े व्यक्ति को विकिरण की घातक डोज देने में पर्याप्त है।
ऑस्ट्रेलियाई पुरातत्त्वविद रॉबर्ट मैक्सवेल ने बताया कि तहखाने में विकिरण का असर इतना है कि अभी भी कोर्ठ बिना सावधानी के यहां जा नहीं सकता। मैक्सवेल के मुताबिक पिपरियात के तहखाने में मौजूद चीजें हजारों वर्षों तक डरावने रूप में खतरनाक रेडियोधर्मी बनी रहेंगी। उन्होंने बताया उस वक्त चेर्नोबिल के रिएक्टर नंबर चार में विस्फोट हुआ था, जिससे 6 से 10 टन कंक्रीट की दीवारें हवा में उड़ गई थीं। इसके बाद से यहां के जर्रे-जर्रे में खतरनाक स्तर का विकिरण है। खासकर तहखाने में जहां, कंक्रीट, ग्रेफाइट और परमाणु ईंधन के अंश ‘हाथीपांव’ के रूप में अभी भी मौजूद हैं।