विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है। जहां देश में कोरोना की पहली लहर बुजुर्गों के लिए खतरा बनी थी, वहीं दूसरी लहर युवा आबादी के लिए खतरनाक साबित हो रही है। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस की तीसरी लहर बच्चों के लिए जानलेवा होगी। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहर सितंबर अंत तक आने की संभावना है।
टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हो विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर टीकाकरण कार्यक्रम को और तेज कर देना चाहिए।। संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ.नितिन शिंदे के अनुसार ऐसे समय में जब कोरोना की तीसरी लहर के बारे में आशंका जताई गई है तो बच्चों को टीका लगवाना अहम होता जा रहा है।
वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी वहीं दूसरी तरफ अमरीका के खाद्य और दवा प्रशासन ने बच्चों के लिए भी फाइजर की कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। दुनियाभर में कोरोना वायरस की रोकथाम के प्रयास किए जा रह हैं। कोरोना का नया वैरिएंट कम उम्र में भी असर दिखा रहा है। 18 साल से नीचे की उम्र के बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। इससे निपटने के लिए अमरीका ने बड़ा कदम उठाया है। अमरीका के खाद्य और दवा प्रशासन ने (एफडीए) ने 12 से 15 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए भी फाइजर की कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है।
कोरोना से किशोरों का होगा बचाव
कोरोना से किशोरों का होगा बचाव
अमरीका के खाद्य और दवा प्रशासन ने फाइजर-बायोएनटेक की कोविड-19 वैक्सीन को 12 से 15 वर्ष के किशोरों में आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी है। एफडीए के कार्यकारी आयुक्त डॉक्टर जेनेट वुडकॉक के अनुसार कोरोना से जंग लड़ने के लिए वैक्सीन हमारी मदद करेगी। इससे हम आम जीवन जी सकेंगे।
टीका छोटे बच्चों पर कारगर अमरीका के खाद्य और दवा प्रशासन (एफडीए) ने इससे पहले 16 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए फाइजर वैक्सीन लगाने की पहले ही मंजूरी दे दी थी। इस दौरान फाइजर ने पाया कि उसका टीका छोटे बच्चों पर असरदार है। इसके एक माह बाद यह घोषणा हुई। अब फाइजर की दो खुराक 12 से 15 साल के बच्चों के लिए आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है।
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की चेतावनी के बाद से इससे निपटने की तैयारियां शुरू हो चुकी है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में कोरोना की तीसरी लहर से बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले हैं। ऐसे में एफडीए का ये प्रयास काफी मददगार साबित हो सकता है।