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अफगानिस्तान से जाने का इरादा बदल सकता है अमरीका, काबुल पर तालिबानी कब्जे की चिंता जताई

अमरीकी मीडिया के खुफिया सूत्रों के अनुसार काबुल के बाहरी इलाकों में तालिबान के जल्द काबिज होने का अंदेशा बना हुआ है।

Jul 18, 2021 / 12:03 am

Mohit Saxena

american forces

नई दिल्ली। तालिबान जल्द ही अफगानिस्तान के कई इलाकों पर कब्जा जमाने की कोशिश में लगा हुआ है। ऐसे में अफगानिस्तान की सुरक्षा को लेकर उसकी चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। इसका अनुमान पहले लगाया गया था। ये बातें अमरीकी खुफिया एजेंसियों के ताजा आकलन में कही गई हैं। इसके मुताबिक काबुल पर तालिबान जल्द अपनी जड़ें जमा सकता है।

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तालिबान के जल्द काबिज होने का अंदेशा

अमरीकी मीडिया के खुफिया सूत्रों के अनुसार काबुल के बाहरी इलाकों में तालिबान के जल्द काबिज होने का अंदेशा बना हुआ है। काबुल शहर पर तालिबान का कब्जा होने में अभी कुछ वक्त लग सकता है। इसकी वजह तालिबान का भय है कि अगर उसने यहां पर हमला किया तो अमरीका उसके ठिकानों पर बमबारी कर सकता है। इसके साथ काबुल की आबादी मोटे तौर पर तालिबान के खिलाफ है। ऐसे में तालिबान को उस तरह का समर्थन नहीं मिल रहा है जैसा देश के दूसरे कई हिस्सों में मिला है।

अमरीका की खुफिया एजेंसियों का आकलन है कि तालिबान कि फिलहाल रणनीति है कि अपनी ऐसी हैसियत बनाई जाए, जिससे वे जब चाहें अफगान सरकार के आयात सप्लाई के रास्तों को रोका जा सके। इसके बाद मुमकिन है कि तालिबान कुछ समय तक इंतजार करे। वह काबुल पर हमले से पहले उस समय का इंतजार करेगा, जब उसे अपने सफल होने की संभावना मजबूत दिखेगी।

तालिबान के आगे हथियार डाल चुके हैं

अमरीकी आकलन के अनुसार अगर तालिबान ने काबुल को चारों तरफ घेरा, तो बहुत से अफगान सैनिक उसके आगे समर्पण को मजबूर हो सकते हैं। अफगानिस्तान के कई शहरों और प्रांतों में अफगान सैनिक तालिबान के आगे हथियार डाल चुके हैं। अमरीकी खुफिया एजेंसियों की राय यह है कि कि अभी तालिबान काबुल पर कब्जा करने में सक्षम नहीं है।

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अमरीका की पराजय मानी जाएगी

अफगानिस्तान में पैदा हुए नए हालात को लेकर अमरीका में राष्ट्रपति जो बाइडेन के आलोचकों की आवाज तेज हो गई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान से अमरीकी फौज की वापसी की तुलना 1975 में वियतनाम से अमरीका की पराजय से की जाएगी। इससे अमरीकी सुरक्षा बलों का मनोबल गिर सकता है। अब इसमें किसी को कोई शक नहीं है कि तालिबान खुद को अफगानिस्तान की प्रमुख राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करने की महत्वाकांक्षा लिए हुए है।

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